नई दिल्ली, पीटीआई एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई जिसमें वाणिज्यिक स्थानों और हवाई अड्डों से निर्दिष्ट धूमपान क्षेत्रों को खत्म करने, धूमपान की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने और शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों व पूजा स्थलों के नजदीक सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित करने के निर्देश देने की मांग की गई है।अधिवक्ता शुभम अवस्थी और सप्तऋषि मिश्र द्वारा दाखिल याचिका में सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान करने पर जुर्माना बढ़ाने, सिगरेट की फुटकर बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और निर्दिष्ट धूमपान क्षेत्रों वाले इलाकों में हवा को स्वच्छ बनाने के लिए दिशानिर्देश बनाने के निर्देश देने की मांग भी की गई है। याचिका में जिन स्थानों पर धूमपान क्षेत्र खत्म करने की मांग की गई है उनमें हवाई अड्डे के अलावा क्लब, रेस्टोरेंट्स, होटल और अन्य सार्वजनिक स्थल शामिल हैं।
खुली सिगरेट की बिक्री पर बैन की मांग
याचिका में सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान के लिए जुर्माना बढ़ाने, खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने, धूमपान क्षेत्रों वाले स्थानों पर धुएं के फिल्ट्रेशन को संभालने के लिए गाइडलाइन बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
धूमपान की उम्र 18 से 21 साल करनी चाहिए
याचिका में कहा गया है है कि एयरपोर्ट, क्लबों, रेस्तरां, होटलों, सार्वजनिक स्थानों और यहां तक कि निजी संपत्तियों में समर्पित स्मोकिंग जोन को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए निर्देश जारी करें ताकि धूमपान को बढ़ावा न मिले। धूमपान की उम्र 18 से 21 साल करनी चाहिए।
धूमपान किशोर आबादी को प्रभावित करती है
अधिवक्ता शुभम अवस्थी और सप्तर्षि मिश्रा द्वारा दायर याचिका में उल्लेख किया गया है कि देश में सिगरेट की बिक्री और लत ऐसे उत्पादों के रूप में नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकार को प्रभावित करती है और निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों में हवाई अड्डों, रेस्तरां और क्लबों में खुले धूम्रपान किशोर आबादी को प्रभावित करती है। वर्तमान समय में, पिछले दो दशकों से धूम्रपान की दर बढ़ रही है और यह एक ऐसी महामारी बन गई है कि भारत अब 16-64 आयु वर्ग के लिए धूमपान करने वालों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर है।