बलरामपुर।नगर पंचायत की दुकानें गुमास्ता एक्ट के तहत प्रत्येक शनिवार को बंद होती थीं। शुक्रवार को नगर पंचायत ने कर्मचारी ने लाउडस्पीकर से अलाउंस नही कराया। नगर पंचायत की मेहरबानी से शनिवार को नियम विरुद्ध आधी दुकानें खुली रही।प्रशासन और नगर पंचायत के अधिकारियों-कर्मचारियों को सूचना के बाद भी अपने निवास में पड़े रहें।
नगर में गुमास्ता एक्ट की धज्जियां उड़ रही है श्रम विभाग की उदासीनता के चलते शहर में गुमास्ता एक्ट मजाक बनकर रह गया है। कार्रवाई नहीं होने से यहां की 30 प्रतिशित दुकानें बिना पंजीयन के ही चलाई जा रही है। यही कारण है कि व्यापारी इस एक्ट की खुलकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। नगर में गुमास्ता एक्ट का पालन नहीं हो रहा है प्रशासन और अधिकारियों की उदासीनता के चलते दुकानोंं में श्रमिकों का शोषण भी हो रहा है। नगर पंचायत में छोटी-बडी मिलाकर करीब 3 सौ दुकानें संचालित है। जिसमेंं से करीब दो सौ दुकानदारों ने लाइसेंस लिया है। अधिकारियों की मानेंं तो गुमास्ता एक्ट के तहत नगर में शनिवार को दुकानेें बंद रखना अनिवार्य है। इसका उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान हैं। लेकिन प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते व्यापारियों के हौसले बुलंद हैं। नगर पंचायत के कर्मचारी ने शुक्रवार को लाउडस्पीकर से अलाउंस नही कराया। शनिवार को नगर पंचायत की मेहरबानी से आधी दुकानें खुली रहीं। प्रशासन और नगर पंचायत के अधिकारियों-कर्मचारियों को सूचना के बाद भी अपने निवास पर डटे रहें।नगर की आधी दुकानें बंद आधी खुली रही।
दुकानें खुलवाने के लिए परिषद की बैठक भी नही की गई
स्थापना अधिनियम, 1958 की धारा 13 (1) के अंतर्गत प्रावधान है कि गुमास्ता कानून के तहत सप्ताह के एक दिन सभी दुकानदारों को अपनी दुकान बंद रखनी होगी। साथ ही दुकान या स्थापना में काम कर रहे कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश भी देना होगा। नगर पंचायत की दुकानें बंद कराने के लिए परिषद की बैठक आयोजित कर नगर पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सीएमओ व पार्षदगणों की उपस्थिति में पारित की जाती है इसके बाद ही नगर की दुकानें खुलेंगी या बंद रहेंगी इसका निर्णय लिया जाता है।