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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत ने इस साल करीब 100 देशों को कोरोना रोधी टीके की 6.5 करोड़ से अधिक डोज का निर्यात किया है। भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास के कारण ही हाल के दिनों में भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाने लगा है। फार्मास्युटिकल क्षेत्र के पहले वैश्विक नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण नवाचार के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो देश को दवा खोज और नवीन चिकित्सा उपकरणों में अग्रणी बनाएगा। उन्होंने कहा कि जब देश के 1.3 अरब लोगों ने भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है, हमें टीकों और दवाओं के लिए प्रमुख सामग्री के घरेलू निर्माण को बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए।
भारत ने 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाएं और चिकित्सा उपकरण निर्यात किए
मोदी ने कहा कि मैं आप सभी को भारत में विचार करने, भारत में नवाचार करने, भारत में बनाने और दुनिया के लिए बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं। अपनी असली ताकत की पहचान करें और दुनिया की सेवा करें।मोदी ने कहा कि हमने महामारी के शुरुआती चरण के दौरान 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाएं और चिकित्सा उपकरण निर्यात किए। मोदी ने कहा कि करीब 30 लाख लोगों को रोजगार और 13 अरब अमेरिकी डालर (965 अरब रुपये) के व्यापार अधिशेष के साथ फार्मा क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है।
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 12 अरब अमेरिकी डालर से अधिक का एफडीआइ
उन्होंने कहा कि भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने 2014 से अब तक 12 अरब अमेरिकी डालर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) आकर्षित किया है और इसमें और अधिक की संभावना है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में 12 सत्र होंगे और 40 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं में नियामक पर्यावरण, नवाचार के लिए वित्त पोषण, उद्योग-अकादमिक सहयोग और नवाचार बुनियादी ढांचे सहित कई विषयों पर विचार-विमर्श होगा।

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