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नई दिल्ली, जेएनएन। देश में कोरोना के टीकाकरण अभियान में आज का दिन अहम है। आज से हेल्थकेयर वर्कर्स और बुजुर्गों को वैक्सीन की तीसरी डोज (प्रीकाशन डोज) लगने जा रही है। प्रीकाशन डोज उन्हीं बुजुर्गों को लगेगी जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है। प्रीकाशन डोज के लिए शनिवार शाम से कोविन पोर्टल पर पंजीकरण शुरू हो गया था। बतादें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने क्रिसमस की रात इसका एलान किया था। प्रीकाशन डोज किसे लगेगी? इसका प्रोसेस क्या है? इसे कितने टाइम बाद ले सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।
कब से दी जाएगी प्रीकाशन डोज?
देशभर में आज से हेल्थकेयर व फ्रंटलाइन वर्कर्स और गंभीर बीमारी से पीड़ित 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को प्रीकाशन डोज दी जाएगी।
कौन सी वैक्सीन लगेगी?
कोरोना की प्रीकाशन डोज वही वैक्सीन होगी जिसे पहली और दूसरी डोज के रूप में दिया गया था। सरकार ने बताया कि जिसे पहले कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं उसे तीसरी डोज भी कोविशील्ड की ही दी जाएगी।
रजिस्ट्रेशन करवाना होगा?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि तीसरी डोज लेने के लिए नया रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होगी। कोविन पोर्टल पर तीसरी डोज लेने के लिए नया फीचर जोड़ दिया गया है। यह नया फीचर उनकी सुविधा के है जो कोरोना वैक्सीन के तीसरे डोज के लिए योग्य हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक व अतिरिक्त सचिव विकास शील ने कहा कि अब सीनियर सिटिजन, फ्रंटलाइन व हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए प्रीकाशन डोज बुक कराने को लेकर कोविन परआनलाइन अप्वाइंटमेंट का फीचर मौजूद है। कोरोना की दोनों डोज लेने वाले लोग किसी भी वैक्सीनेशन सेंटर पर अप्वाइंटमेंट लेकर या सीधे ही जा सकते हैं।
प्रीकाशन डोज में कितना गैप होना चाहिए?
अगर आप 60 वर्ष के हैं और टीके की दोनों डोज ले चुके हैं तो दूसरी डोज और जिस दिन आप रजिस्टर कर रहे हैं उसके बीच का अंतर 9 महीने (39 सप्ताह) से अधिक है तो आप इसके योग्य हैं।
कोमोर्बिडिटीज सर्टिफिकेट दिखाना होगा?
प्रीकाशन डोज के लिए बुजुर्गों को किसी तरह का सर्टिफिकेट नहीं दिखाना होगा। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि प्रीकाशन डोज लेने वाले लोगों को डाक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
कौन-कौन सी बीमारियां हैं शामिल?
प्रीकाशन डोज लेने वाले लोगों के लिए 20 गंभीर बीमारियां शामिल की गई हैं। इन बीमारियों में डायबिटीज, किडनी डिजीज या डायलिसिस, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, स्टेमसेल ट्रांसप्लांट, कैंसर, सिरोसिस, सिकल सेल डिजीज, स्टेरायड या इम्युनोसप्रेसेंट का लंबे समय से इस्तेमाल, मस्क्यूलर डिस्ट्राफी/ श्वसन प्रणाली की संलिप्ता के साथ एसिड अटैक/ अधिक मदद की जरूरत वाले दिव्यांग/ सुनने-देखने में असमर्थ समेत कई अक्षमताओं वाले दिव्यांग और पिछले दो साल में गंभीर श्वसन संबंधी बीमारी जिसमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी हो।

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