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क्रेशरों में अवैध ब्लास्टिंग से 5 साल में 18 कोरवा गांव छोड़े, आदिवासी कर रहे भूमि वापसी व मुआवजा की मांग, कुछ निगरानी बदमाश चला रहे क्रेशर
क्रेशर ब्लास्टिंग के कारण घेरों पर गिर रहे पत्थर,व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 और तालुक विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष ने 30 दिन में मांगी थी रिपोर्ट, 310 दिन बाद भी अधूरी
राजपुर क्षेत्र में संचालित क्रेशर में उपयोग के लिए राजस्व भूमि पर हो रही ब्लास्टिंग
बघिमा, बरियों, भिलाई, भेस्की, चंगोरी, धौरपुर, चरगढ़, डिगनगर बारूद के ढेर में
बलरामपुर। बलरामपुर और सरगुजा जिले के इलाके में संचालित केशर खदानों में खपने वाले पत्थर अवैध तरीके से राजस्व भूमि से निकाले जा रहे हैं। दैनिक अखबार व पोर्टल में प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित होने के बाद व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 और तालुक विधिक सेवा समिति ने छह सामान सदस्यीय टीम गठित कर 9 बिंदुओं पर जांच कर 30 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन 310 दिन बाद भी जांच अधूरी है। वहीं ग्राम बधिमा के सरपंच ने पंचनामा में बताया कि 5 साल के भीतर 18 अब परिवार गांव छोड़ कर भागे हैं। भूमि वापसी और मुआवजा मांग की जा रही है। बघिमा, बरियों, धौरपुर क्षेत्र बारूद के ढेर में है। कोरवा और आदिवासियों की करोड़ों की जमीन की अवैध खरीदी-बिक्री, जांच में हो सकता है बेनामी संपत्ति का खुलासा, कुछ निगरानी बदमाश क्रेशर चला रहे हैं।
दैनिक अखबार व पोर्टल में खबर प्रकाशित होने के बाद व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 और तालुक विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष जीआर यादव ने संज्ञान में लेते हुए छह सदस्यीय टीम गठित कर 30 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। जांच टीम में तहसीलदार सुरेश राय, वन परिक्षेत्राधिकारी अजय तिवारी, अधिवक्ता जयगोपाल अग्रवाल, थाना प्रभारी अखिलेश सिंह, बीएमओ डॉ. रामप्रसाद तिकी व जूनियर इंजीनियर राजेंद्र राजवाड़े थे। न्यायाधीश जीआर यादव, वन परिक्षेत्राधिकारी अजय तिवारी व जूनियर इंजीनियर राजेंद्र राजवाड़े का स्थांतरण हो गया जांच आज तक अधूरी है। बघिमा के सरपंच लीलावती ने पंचनामा तैयार कर बताया कि 5 साल के भीतर 18 लोगों ने गांव छोड़कर भागे हैं उनका कोई पता नहीं हैं। कुछ लोग जंगल किनारे मकान बनाकर रह रहे है। उनके जमीन को क्रशर संचालकों के द्वारा धमकी देकर कम दामों पर खरीद कर ब्लास्टिंग किया जा रहा है।
पहाड़ी कोरवा और आदिवासियों की करोड़ों की बेनामी भूमि पर कब्जा
पहाड़ी कोरवा और आदिवासियों की करोड़ों की बेनामी भूमि पर कब्जा कर लिया गया है।भूमि किसके नाम पर है यह भी विषय बना हुआ है। पहाड़ी कोरवा और आदिवासियों की भूमि सामान्य व पिछड़ा वर्ग के क्रेशर संचालकों के नाम पर स्थांतरण कैसे हुआ सवाल उठ रहा है। क्रेशर संचालकों के साथ राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी व हल्का पटवारियों से तगड़ी साठगांठ होगी उच्चस्तरीय जांच होगी, तो कई तथ्य सामने आएंगे।
इन 9 बिंदुओं के लिए जांच टीम गठित की गई थी
01. क्या संचालित क्रेशर के लिए अवैध तरीके से पत्थर निकाले जा रहे है।
02. क्या पहाड़ी कोरवा और आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर ब्लास्टिंग कराई जा रही है।
03.क्या क्रेशर संचालकों के पास वैध दस्तावेज जैसे जमीन, डायवर्शन, पीट पास, लीज, पर्यावरण, मेडिसिन, ब्लास्टिंग, भण्डारण आदि वैध दस्तावेज है।
04.क्या कई लोग अवैध ब्लास्टिंग से प्रभावित होकर घर छोड़कर भाग चुके है।
05.क्या क्रेशर संचालकों के द्वारा चोरी की बिजली का उपयोग किया जा रहा है।
06.क्या बरियों क्षेत्र के ग्राम बघिमा में 25 केजी अवैध बारूद लावारिस हालत में मिला था।
07.क्या क्रेशर संचालकों के द्वारा अन्य उपयोग बताकर क्रेशर में बिजली पावर कलेक्शन की सप्लाई की गई है।
08.क्या उक्त क्रेशरों के संचालन से पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है कि मानव जीवन मे संकटापन्न उत्पन हो गया है।
09. क्या वनभूमि में अवैध खनन किया जा रहा है।
13 क्रशरों की जांच कि गई थी जांच में सभी क्रेशरों में काफी अनियमिता पाई गई थी इसके राजस्व विभाग के द्वारा जांच के लिए नही बोला गया। जयगोपाल अग्रवाल, अधिवक्ता राजपुर।
जांच के किए राजस्व विभाग के द्वारा सूचना ही नही दिया गया। अखिलेश सिंह, थाना प्रभारी राजपुर।
क्रेशरों की जांच चल रही है पूरे क्रशरों की जांच कर रिपोर्ट न्यायालय को प्रस्तुत की जाएगी। सुरेश राय, तहसीलदार-राजपुर।
कुछ क्रेशरों में विभाग के स्टाफ गए हुए थे इसके बाद राजस्व विभाग के द्वारा सूचना नही दिया गया। बीएमओ डॉ. रामप्रसाद तिर्की, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, राजपुर।
मामला प्रकाश में आया है सभी क्रेशरों की जांच कराई जाएगी गलत पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। चेतन साहू, एसडीएम राजपुर।