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बलरामपुर जिले में रेंजर के पद डिप्टी रेंजर संभाल रहे, कागजों में करा रहें करोड़ो रुपए के काम

बलरामपुर जिले में भी लैंटना उन्नमूलन के लिए 4 करोड़ 39 लाख रुपए खर्च


कैंपा मद में हर साल 80 से 100 करोड़ के होते हैं काम लेकिन सोशल ऑडिट नहीं कराते वन अफसर


मनरेगा में राजस्व जमीन पर काम कराने सोशल आडिट का है प्रावधान


स्टापडेम, तालाब, फेंसिंग पौधरोपण, मृदा संरक्षण के कराए जाते हैं काम, लोगों को पता न चले इसलिए ही पंचायतों को सूचना नहीं देते


40 लाख का तालाब बन रहा 5 लाख में, तालाब में मजदूरों के हक पर चल रही जेसीबी


कुसमी वन विभाग द्वारा कैंपा योजना के तहत 40 लाख की लागत से ग्राम धनेशपुर के छुराकोना में बनाया गया तालाब, ग्रामीणों को पता नहीं


बलरामपुर
।बलरामपुर जिले के तीन रेंज में रेंजर के पद पर डिप्टी रेंजर को पदस्थ किया है। जबकि जिले में रेंजर हैं और वे रेंजर के पद पर काम भी करना चाहते हैं। लेकिन उनका कहना है कि वे उस पद पर बैठकर काम तो कर सकते हैं, लेकिन उसके अलावा बड़े अफसरों और नेताओं को खुश नहीं कर सकते, क्योंकि यह उनके लिए महंगा काम है। बलरामपुर जिले में रामानुजगंज, बलरामपुर, वाड्रफनगर, राजपुर, शंकरगढ़, कुसमी, धमनी, चांदो, रघुनाथनगर नौ रेंज व डिपो वाड्रफनगर है, जहां 3 रेंज शंकरगढ़ में अखिलेश जायसवाल, धमनी में अजय वर्मा व कुसमी में काली राम डिप्टी रेंजर पोस्टेड हैं। रेंजर महाजन लाल साहू राजपुर और लुंड्रा दो जगह के चार्ज पर है, रामानुजगंज में रेंजर संतोष पांडेय, चांदो में रेंजर अमूलरतन राय, रघुनाथनगर में रेंजर रामशरण राम व बलरामपुर में रेंजर रविशंकर श्रीवास्तव का प्रमोशन एसडीओ के पद पर दो माह पहले कटघोरा हो गया वही वाड्रफनगर रेंजर व डिपो के पद पर पदस्थ अशोक तिवारी का प्रमोशन एसडीओ के पद पर राजपुर -कुसमी हो गया है मगर आज भी राजनैतिक प्रभाव और अधिकारियों की मेहरबानी के कारण दो जगह के चार्ज पर पदस्थ है।

इन रेंज विभाग की योजनाओं में गड़बड़ी की कई गंभीर शिकायत है। लेकिन इसके बाद भी उनकी जांच तक नहीं हो रही है। इनमें कई रेंज में हाथी विचरण पर निगरानी रखने टावर और वनोपज गोदामों और दफ्तर व आवासों से मुख्य मार्ग तक पहुंच के लिए सीसी रोड़ का कागजों में निर्माण का आरोप भी लग रहा है।बलरामपुर जिले सहितवाड्रफनगर, चांदो व कुसमी रेंज में भी यह गड़बड़ी होने के आरोप हैं। विभाग के कुछ अफसर इस गड़बड़ी से नाखुश हैं। लेकिन उनकी आवाज को अनसुना कर दिया है। कागजों में निर्माण कराने के पीछे की वजह एक अफसर ने बताया कि सभी अधिकारी- कर्मचारी का इतना प्रतिशत कमीशन तय है कि निर्माण के लिए स्वीकृत राशि पूरी तरह कमीशन में चली जाती है और यही वजह है कि गड़बड़ी सामने नहीं आती है। यह भी एक कारण है कि डिप्टी रेंजर को पोस्टेड कर इस तरह की गड़बड़ी कराई जा रही है। वही एसडीओ प्रमोशन के बाद भी रेंजर के पद पर पड़े हुए हैं।


बलरामपुर जिले में भी लैंटना उन्नमूलन के लिए 4 करोड़ 39 लाख रुपए खर्च हुए 
लेंटाना उन्मूलन के नाम पर भी कागजी खानापूर्ति, कार्रवाई नहीं वन विभाग के अफसरों की लापरवाही और बिना मॉनिटरिंग के बरसात के मौसम में लगाए गए पौधों और चारागाह भी सुरक्षित नहीं है। यही वजह है कि विभाग के अफसर हर साल जंगलों में पौधे लगाते हैं, लेकिन गड़बड़ी और लापरवाही पर कार्रवाई नहीं होती है, जबकि इस पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। बता दें कि लेंटना उन्मूलन पर बलरामपुर जिले में करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं, लेकिन यह काम सिर्फ कागजों में हो रहा है और लेंटाना (पुट्स झाड़ी) किसानों के खेत तक पहुंच गया है। किसानों के कई एकड़ जमीन इस से खेती लायक। इसका उदाहरण बलरामपुर जिले में देखा जा सकता है।


कैंपा मद में हर साल 80 से 100 करोड़ के होते हैं काम लेकिन सोशल ऑडिट नहीं कराते वन अफसर
बलरामपुर जिले के विकासखंडों में कैंपा मद से करोड़ों के कार्य कराए जाते हैं। हर साल 80 से 100 करोड़ के काम मंजूर होते हैं, लेकिन वन विभाग के अधिकारी सोशल आडिट ही नहीं कराते। मनरेगा की तरह कैंपा मद से राजस्व जमीन पर काम कराने पर सोशल आडिट का प्रावधान है। इसके लिए पंचायतों में समिति बनाने के साथ ही योजना की जानकारी देने का प्रावधान है। कैंपा (वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण) के तहत क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण प्रबंधन क्षेत्र का उपचार, वन्य जीव प्रबंधन, वनों में आग लगने से रोकने के उपाय, वन में मृदा व आर्द्रता संरक्षण के कार्य कराए जाते हैं। इसके तहत नालों में स्टापडेम, बोल्डर चेक डेम, तालाब का निर्माण, पौधरोपण, फेंसिंग समेत अन्य कार्य होते हैं। जिले के विकासखंडों में करीब 80 से 100 करोड़ से स्टापडेम व बांध का निर्माण कराया जा रहा है। जिसका काम अधूरा है लेकिन एक भी स्थान पर सूचना पटल ही नहीं लगाया गया है। गांव में सीसी रोड, तालाब में भी कोई सूचना पटल और गांव में मजदूरी भुगतान को लेकर कोई सूचना बोर्ड नहीं बनाया गया है।

40 लाख का तालाब बन रहा 5 लाख में, तालाब में मजदूरों के हक पर चली जेसीबी
बलरामपुर जिले सहित वाड्रफनगर, चांदो व कुसमी वन परिक्षेत्र अंतर्गत विभाग ने कैंपा योजना तहत तालाब निर्माण का कार्य मजदूरों से ना कराकर जेसीबी मशीन से कराया गया है। तालाब निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई है। विभाग द्वारा कार्यस्थल पर सूचना पटल भी नहीं लगाया गया है। इससे ग्रामीणों को तालाब की लागत, योजना का कार्य और तालाब की लंबाई, चौड़ाई एवं गहराई कितनी है, इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। 40 लाख का तालाब बन रहा है 5 लाख रुपए में जिम्मेदार विभाग बेपरवाह घोटाला कराने में लगें हुए हैं। निर्माण कार्य स्थल पर 15 जेसीबी मशीन व 12 ट्रैक्टर लगाया गया था।


कुसमी के ग्राम धनेशपुर के छुराकोना में 40  लाख के लागत से तालाब बनाया गया है, ग्रामीणों को पता नहीं
वन विभाग द्वारा कुसमी के ग्राम धनेशपुर के छुराकोना में 40- 40 लाख के लागत से तालाब बनाया गया है ग्रामीणों को पता नहीं। तालाब निर्माण में विभाग मजदूरों को रोजगार न देकर जेसीबी मशीनों से निर्माण कार्य धड़ल्ले से करवाया गया है। विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को अंधेरे में रखकर उन्हें काम नहीं दिया गया है। लाखों रूपए की लागत से तालाब निर्माण कार्य में भी नियमों और गाइडलाइन की भी जमकर अनदेखी की जा रही है। जबकि एक तरफ जहां शासन- प्रशासन कोरोना की तीसरी लहर में मजदूरों को उनके ही गांव में ज़्यादा से ज़्यादा काम देने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर विकासखंड में तालाबों का निर्माण जेसीबी मशीन के जरिए कराया गरीब व मजदूरो का हक छिना गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि मशीनों से कार्य होने के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। उन्हें काम के संबंध में जानकारी भी नहीं दी जा रही है।

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