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अंबिकापुर। भारत के महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्र के विद्वान माने जाने वाले आचार्य चाणक्य ने अपने नीतियों के माध्यम से मनुष्यों को सफल जीवन जीने का रास्ता दिखाया है। उनकी नीतियां चाहे जितनी भी कठिन हो लेकिन इनका पालन करते व्यक्ति बुलंदियों को छू सकता है। जानिए आचार्य चाणक्य ने वह कौन सी चीजें बताई हैं जो व्यक्ति को अंदर से जला डालती है।
श्लोक
कुग्रामवासः कुलहीन सेवा कुभोजन क्रोधमुखी च भार्या।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम्॥
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि दुष्टों के गावं में रहना, कुलहीन की सेवा, कुभोजन, क्रोधी पत्नी, मूर्ख पुत्र और विधवा पुत्री ये सब चीजें व्यक्ति को बिना आग के जला डालती हैं यानी यह चीजें व्यक्ति को सबसे ज्यादा दुख देती हैं।आचार्य चाणक्य बताते हैं कि दुष्टों के गांव यानी गलत व्यक्तियों के बीच रखना एक साधारण व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी होता है। क्योंकि उस सज्जन व्यक्ति की भी गिनती दुष्ट लोगों में ही होती है। ऐसे में वह व्यक्ति अंदर से इस बात को सोचकर जलता रहता है कि आखिर उसकी शालीनता को कोई कैसे नहीं देख पा रहा है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कुलहीन की सेवा करना भी मनुष्य को अंदर से जला देता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार,जिस व्यक्ति का अपना कोई कुल न हो तो उसकी सेवा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि कुलहीन की सेवा करना आपके धर्म के खिलाफ है और इसका असर सेवा करने के वाले व्यक्ति के परिवार के ऊपर पड़ता है। इसलिए अगर व्यक्ति अपना भला चाहता है तो बिल्कुल भी कुलहीन व्यक्ति की सेवा न करें।
कुभोजन करने से भी व्यक्ति अंदर से जलता रहता है। आचार्य चाणक्य बताते हैं कि कुभोजन यानी खराब भोजन को खाने से व्यक्ति की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस तरह के भोजन को बिल्कुल छोड़ देना चाहिए।
एक मधुर वाणी, सुशील पत्नी पति के साथ-साथ पूरे घर-परिवार का ध्यान रखती हैं। लेकिन अगर पत्नी क्रोधी प्रवृत्ति की हैं तो घर में कभी भी शांति नहीं रह सकती। अपनी कर्कश आवाज से पूरे परिवार को परेशान कर देती हैं। ऐसे में पति अंदर ही अंदर जलता रहता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति का पुत्र मूर्ख है तो वह अंदर ही अंदर जलता रहता है। क्योंकि ऐसा पुत्र पिता के साथ-साथ पूरे कुल का नाम बदनाम कर देता है। 
आचार्य चाणक्य श्लोक के अंत में कहते हैं कि एक पिता के लिए सबसे जरूरी और खुशी की चीज है कि उसकी संतान सुखी जीवन जिएं। लेकिन पुत्री का विधवा हो जाना एक पिता के लिए किसी शाप से कम नहीं है। इस दुख के कारण वह अंदर ही अंदर जलता रहता है।

डिसक्लेमर’
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