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छत्तीसगढ़।छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच स्कूलों में फैल रहे संक्रमण ने चिंता बढ़ा दी है। कोरोना संक्रमण की वजह से छोटे बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं। छोटे बच्चों में कोरोना संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं को बंद करने जा रहा है। साथ ही इनकी पढ़ाई ऑनलाइन मोड में ही होगी।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी विभागों से चर्चा के बाद जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। वहीं बड़े आयोजनों और सभाओं पर रोक लगाने की भी बात आई है। इसके बाद विभागों में चर्चा शुरू हो गई है। रविवार को ही रायपुर में पांच बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इनकी उम्र 6 से 15 वर्ष के बीच है। रोजाना की रिपोर्ट में बच्चों के संक्रमित होने की जानकारी आ रही है। स्कूलों में उपस्थिति होगी ऐच्छिक, बाकी कक्षाओं पर बाद में फैसला छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा विभाग ने स्कूलों में कोरोना के खतरे को लेकर चर्चा शुरू कर दी है। कहा जा रहा है, अगले कुछ दिनों में प्राइमरी कक्षाओं को बंद कर ऑनलाइन क्लासेस ही ली जाएंगी। संभव है कि अपर प्राइमरी और हायर सेकंडरी कक्षाओं में उपस्थिति ऐच्छिक कर दी जाए। शेष कक्षाओं और बोर्ड परीक्षाओं को लेकर फैसला आने वाले दिनों में संक्रमण के हालात को देखने के बाद लिया जाएगा।
12 जनवरी को आयोजित युवा उत्सव भी टलेगा
12 जनवरी से प्रस्तावित युवा उत्सव के आयोजन को भी टाला जा सकता हैं। युवा महोत्सव जैसे आयोजनों को भी टाला जा सकता है। स्वामी विवेकानंद की जयंती पर हर वर्ष यह आयोजन होता है। इस वर्ष से इस उत्सव को लोक कलाओं और लोक भाषाओं के साहित्य के बड़े मेले के तौर पर आयोजित किया जाना था। इसमें प्रदेश के सभी जिलों से चुनकर आए प्रतिभागी हिस्सा लेने वाले हैं। कई स्कूलों में मिल चुके कोरोना के केस पिछले सप्ताह रायगढ़ स्थित नवोदय विद्यालय में 35 से अधिक विद्यार्थी और स्कूल स्टाफ कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया था। संक्रमण के कई मामले सामने आने के बाद स्कूल को कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। दूसरे स्कूलों में भी कोरोना के कई केस सामने आ चुके।
22 नवंबर से 100% क्षमता के साथ खुले थे स्कूल
राज्य मंत्रिपरिषद ने 22 नवंबर की बैठक में स्कूलों को पूरी तरह अनलॉक करने का फैसला किया था। यानी कक्षाएं अपनी पूरी क्षमता के साथ संचालित की जा सकती थीं। इसके लिए अभिभावकों की सहमति और कोविड प्रोटोकाल का पालन अनिवार्य किया गया था। पिछले वर्ष 2 अगस्त से स्कूल खुले थे, लेकिन 50% क्षमता के साथ ही कक्षाओं का संचालन हो रहा था ।

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