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राजेन्द्र कश्यप, जांजगीर चांपा,छत्तीसगढ़।
मातृत्व दिवस पर चिंतन

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गर्भ में तेरे ,जब मैं आयातब ही तुझको जाना मांखुद खाई तो खाया मैं भीकोख में मैं पहचाना मां
मेरे खातिर कितनी पीड़ानौ माह तक सहती रही सब कुछ सहकर कभी किसी सेऊफ तक ना कहती रही
तूने ही दुनिया दिखलायापहली सीख तूने सिखलायामेरा सब कुछ जतन करी तूतब मैं कहीं ,खड़ा हो पाया ‌
तेरी सेवा ,जप तप से मैंदुनिया दारी सीखा हूंतेरे बिना संभव ही नहीं थाजो भी पढ़ा और लिखा हूं
 साथ रहती है हर पल मेरेमुझसे अलग ना हो‌ पातीविश्वास डिगे अन्तर्मन से जबकर लोगे तुम,कह जाती
स्नेह, ममता, और  दुलार मांतुमसा नहीं ,कोई करेगा प्यार मांतुझमें दिखता हर बच्चे कोपूरी दुनिया,पूरा संसार मां
तू कृति है, मां तू कृतित्व हैतेरे बिना ,मेरा क्या अस्तित्व हैसबकी तू पहचान है मांदुनिया में तू महान है मां—2              

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