छत्तीसगढ़। छत्‍तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल तीन महीने के लिए स्‍थगित हो गई है। 65 दिन से आंदोलन कर रहे मनरेगा कर्मचारियों ने मंत्री कवासी लखमा से मुलाकात के बाद यह फैसला लिया है। मंत्री ने आज आंदोलनरत मनरेगा कर्मियों से मुलाकात की और मांगों को पूरा करने का आश्‍वासन दिया।

इस दौरान मंत्री ने कहा, नियमितीकरण की समीक्षा की जाएगी। हालांकि मंत्री ने मनरेगा कर्मचारियों के नियमितीकरण का आश्‍वासन नहीं दिया। साथ ही लखमा ने 21 बर्खास्‍त मनरेगा कर्मचारियों को बहाल करने की बात भी कही।

मनरेगा कर्मचारियों के पंडाल में शवों के पुतले, रो रहीं थीं महिलाएं

इससे पहले राजधानी रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल के 65वें दिन मंगलवार को धरना स्थल पर मातम छाया रहा। सांकेतिक तौर पर तीन मनरेगा कर्मचारियों के कफन से लिपटे शव (पुतले) को घेरे महिला-पुरुष कर्मचारी रो रहे थे। वे साथियों के बिछड़ने का दुख मना रहे थे। दृश्य झकझोरने वाला था। राहगीर भी रुककर घटना की जानकारी लेने के साथ मनरेगा परिवार के प्रति संवेदना जाहिर कर रहे थे।

पिछले दिनों कर्मचारियों ने अपनी आर्थिक स्थिति को बताने के लिए संविदा कर्मचारी का पुतला बनाकर उसे पंडाल में आत्महत्या करते हुए दिखाया था। इसी कड़ी में मातम व काठी का नाटक मंचन किया गया। मनरेगा कर्मचारी प्रतीकात्मक रूप से यह दिखाना चाहते हैं कि संविदा में नौकरी करना आत्महत्या करने के समान है। जिंदगी में बेरोजगारी का दर्द, मातम के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास इसी तरह मरने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है, इसलिए मातम मनाकर विरोध जता रहे हैं। सांकेतिक प्रदर्शन में राधेश्याम कुर्रे, सूरज सिंह समेत अन्य पदाधिकारी शामिल हुए।

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि कुछ दिनों पहले हमारे 3,000 साथियों को बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की नौकरी खत्म कर दी गई। सेवा समाप्ति करने से पूर्व एक बार भी नहीं सोचा गया कि यही वही कर्मचारी हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ को गत वर्षों में 31 राष्ट्रीय अवार्ड दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

क्रूरता पूर्वक कलम चलाते समय एक बार भी यह नहीं सोचा गया कि 10-15 वर्षों से जो कर्मचारी जी-जान लगाकर काम करते रहे, सेवा समाप्ति के बाद उनके परिवार की स्थिति क्या होगी। कांग्रेस ने अपने जन घोषणा-पत्र में सभी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, किसी की भी छंटनी नहीं करने का वादा किया था। इसके विपरीत सरकार ने दंडात्मक कार्रवाई की, यह रवैया ठीक नहीं है। इनका दावा है कि बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में मनरेगा कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण सहित अगल-अलग फायदेमंद नीतियां हैं।

12 हजार सौंप चुके हैं इस्तीफा

तीन दिन पहले ही 21 लोगों को बर्खास्त किए जाने के विरोध में 12 हजार कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा दिया। इस्तीफे का भारी-भरकम बंडल अधिकारियों को सौंपा गया। कर्मचारियों ने कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब मांगें पूरी नहीं हो जाएंगी।

ये हैं मांगें

वादे के अनुसार सभी मनेरगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए। नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण किया जाए। सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमों के तहत काम लिया जाए आदि प्रमुख मांगें हैं।

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