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बलरामपुर। बलरामपुर जिले के राजपुर ब्लाक के धंधापुर स्थित महान नदी में रेत खनन का विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब तक जिले में जहां भी ठेका से रेत खनन से कराया जा रहा है वहां नदियों क़ो रेत निकालने इतना गहरा किया जाता है कि गांव के लोग ज़ब नदी में नहाने या तैरने जाते हैं तो हादसे का डर होता है। शिकायत के बाद भी ठेकेदार नियमों का पालन नहीं करते हैं और यहां भी ऐसा ही होने की आशंका है वहीं रेत लोड वाहनों के चलने से सड़क भी खराब हो जाएगी और स्कूली बच्चों क़ो भारी वाहनों के चपेट में आने से हादसे का डर बना रहेगा। ग्रामीणों ने विरोध करते हुए नदी के पास रेत ठेकेदार द्वारा रेत निकालने बनवाए जा रहे सड़क का विरोध दर्ज कराया और महिलाए ट्रकों के सामने ख़डी हो गईं। ठेकेदार के लोगों ने ग्रामीणों क़ो समझाने की कोशिश की लेकिन महिलाओं ने एक सूर में रेत खनन नहीं करने देने का एलान कर दिया।
धंधापुर पंचायत के लोधीडांड व छिंदियाडांड के बीच होकर गुजरने वाली महान नदी में रेत खनन का ठेका भिलाई के एक ठेकेदार क़ो मिला है, जिससे पेटी कांट्रेक्ट में एक स्थानीय ठेकेदार ने काम लिया है और इसके साथ ही विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीणों क़ो सबसे अधिक चिंता सड़क की है वहीं उन्हें इस बात का भी डर है कि जहां पर रेत खनन का लीज ठेकेदार क़ो दिया गया है उसे छोड़कर दूसरे क्षेत्र में खनन करेगा वहीं खनन स्थल से महज कुछ दूरी पर ही नदी में 8 करोड़ की लागत से सेतु संभाग द्वारा पुल बनवाया जा रहा है। जिसे रेत खनन से नुकसान हो सकता है क्योंकि यहां पहले भी 2008 में पुल बना था जो 2015 में बह गया इसके बाद लोधी डांड के ग्रामीणों क़ो अपने ही पंचायत के ग्राम पंचायत भवन या स्कूल और सोसाइटी जाने के लिए नाव के सहारे या फिर 20 किलोमीटर लंबी दूरी तय करना पड़ता है।
परसवारकला में नदी क़ो 10 मीटर गहरा तक खोद दिए, अब हादसे का डर
परसवारकला में इसी नदी में रेत खनन पिछले एक साल से हो रहा है, छिंदियाडांड घाट से परसवार घाट की दूरी एक किलोमीटर भी नहीं है। परसवार घाट में रेत घाट में ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया लेकिन इसके बाद भी खनिज विभाग के अफसरों ने नजर अंदाज किया और अब वहां हालत यह है कि नदी क़ो 10 मीटर तक गहरा खोद दिया है। इससे वहां जानवरों व इंसानों के डूबने का खतरा है और अभी भी वहां माइनिंग नियमों व लीज के प्रावधानो के विपरीत खनन किया जा रहा है।