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लखनऊ, एजेंसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश तिलहन और दलहन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि दोनों का उत्पादन बढ़ाकर सूबे को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। जिस तरह से आबादी बढ़ रही उसमें खाद्य तेलों की जरूरत के लिए अभी केवल 30-35 प्रतिशत तिलहन का उत्पादन हो रहा है, जबकि दलहन का उत्पादन 40 से 45 प्रतिशत ही है। इसे मांग के अनुरूप उत्पादन तक लाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। इसमें लघु व सीमांत किसानों की भूमिका अहम होगी।बुधवार को मंत्रिपरिषद के सामने कृषि उत्पादन सेक्टर के सात विभागों की सौ दिन कार्ययोजना के प्रस्तुतिकरण पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी विभाग आम आदमी को सुविधाएं देने के साथ ही रोजगार के अवसर भी तलाशें। जो योजना शुरू करें उसे समयबद्ध रूप से पूरा भी किया जाए। यह भी निर्देश दिया कि 100 दिन के बाद जनता के सामने विभागों को अपने कार्यों का विवरण भी प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने कहा कि जनहित की योजनाओं के लिए धनराशि की कमी नहीं है लेकिन वित्तीय संतुलन का ध्यान जरूर रखें और खर्चों में कटौती करें।उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय में गुणात्मक वृद्धि करने के लिए संकल्पित है और पांच वर्ष में प्रदेश में ऐसा परिवेश तैयार किया जाए, जहां शानदार कृषि व्यवस्था हो और खाद्यान्न व पोषण की सुरक्षा हो। कृषि विज्ञान केंद्र को सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जाएं, केंद्रों पर इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त हैं। हर सेंटर में एक प्रोसेसिंग यूनिट जरूर हो, ताकि इसका किसानों को लाभ मिले। सीएम योगी ने कहा कि आधुनिक कृषि तकनीक व पारंपरिक कृषि विज्ञान का अपेक्षित उपयोग किया जाए। कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान को कृषकोन्मुखी और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।15 जून तक पूरे हों बाढ़ बचाव के कार्य : मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ बचाव से संबंधित कार्य 15 जून से पहले पूरे करा लिए जाएं। पुराने तटबंधों की मरम्मत भी समय से हो। नहरों के टेल तक पानी पहुंचाने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना के सर्वेक्षण को और सरल किया जाए। किसानों को इस संबंध में जागरूक करें। पीएम किसान योजना में नाम मिस मैच होने की समस्या आ रही है। अभियान चला कर डेटा सुधार किया जाए और अपात्रों से वसूली भी की जाए। 31 मई तक किसानों की ई-केवाईसी पूरी कर ली जाए।
ओडीओपी की तर्ज पर कराएं उपज का निर्यात : सीएम योगी ने कहा कि अधिकारी हर जिले में निर्यात की जा सकने वाली कई उपज का चिन्हींकरण करके निर्यात को बढ़ावा दें, ताकि किसान मालामाल हो। यह योजना ओडीओपी की तर्ज पर लागू की जा सकती है। गंगा नदी के किनारे 35 जिलों में प्राकृतिक खेती की परियोजना को प्रोत्साहित किया जाए। विकास खंड स्तर पर 500-1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा। हर क्लस्टर में एक चैंपियन फार्मर, एक सीनियर लोकल रिसोर्स पर्सन, दो लोकल रिसोर्स पर्सन व 10 कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन का चयन किया जाए।
एक्सप्रेस वे के किनारे स्थापित करें नई मंडियां : मुख्यमंत्री ने कहा कि एक्सप्रेस-वे पर जमीन चिन्हित कर नई मंडियों की स्थापना की जाए। पीपीपी माडल पर मंडियों में प्रसंस्करण इकाइयों को स्थापित करने की नीति भी तैयार करें। उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2017 के तहत स्वीकृत इकाइयों को अनुदान अगले 100 दिन में कर दिया जाए। कौशांबी व चंदौली जिले में इजरायल तकनीक पर आधारित सेंटर आफ एक्सीलेंस फार फ्रूट एंड वेजिटेबल की स्थापना का काम शुरू किया जाए।
गन्ना किसानों को 14 दिन में मूल्य भुगतान का करें इंतजाम : सीएम ने कहा कि किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान 14 दिनों के भीतर करने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। इसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। यह भी कहा कि पिछले वर्ष में 1,69,153 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कर नया कीर्तिमान बनाया गया है। अगले 100 दिनों के भीतर 8,000 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान करने के प्रयास किए जाएं। यह भी कहा कि छह माह में यह लक्ष्य 12,000 करोड़ होना चाहिए।
सहकारी चीनी मिल का आधुनिकीकरण : सीएम ने कहा कि बिलासपुर रामपुर, सेमीखेड़ा बरेली, छाता मथुरा और पूरनपुर पीलीभीत की सहकारी चीनी मिल का आधुनिकीकरण किया जाना जरूरी है। साथ ही नानौता, साथा और सुल्तानपुर चीनी मिल का सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिए। पेराई सत्र 2022-23 के लिए डिजिटल गन्ना सर्वेक्षण हो। पांच वर्ष में गन्ने की उत्पादकता 81.5 हेक्टेयर से बढ़ाकर 84 टन प्रति हेक्टेयर करने के लक्ष्य के साथ कार्यवाही की जाए।
गो-अभ्यारण्य की स्थापना व संरक्षण केंद्र बने स्वावलंबी : योगी ने कहा कि निराश्रित पशुओं के संरक्षण के साथ केंद्र को स्वावलंबी बनाने के लिए अगले 100 दिनों में गो-अभ्यारण्य की स्थापना की जाए। इसी अवधि में 50,000 निराश्रित पशुओं को पंचायती राज व नगर विकास से समन्वय करके संरक्षण दिलाया जाए। छह माह के भीतर एक लाख निराश्रित पशुओं के लिए व्यवस्थित आश्रय स्थल तैयार कराए जाएं। उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य, कल्याण, स्थिर पशुपालन को बढ़ावा देना हमारा संकल्प है। अन्य पशुजन्य उत्पाद को प्राप्त करने के लिए उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि की जानी चाहिए।
यह भी निर्देश
रेशम विभाग की ओर से कीटपालन गृह, उपकरण और अन्य सहायता उपलब्ध कराते हुए किसानों की आय में बढ़ोतरी के प्रयास हों।काशी में सिल्क एक्सचेंज मार्केटिंग बोर्ड का तकनीकी व विक्रय केंद्र खोला जाए। सिल्क एक्सचेंज से अधिकाधिक बुनकरों को जोड़ा जाए।पांच वर्ष में रेशम धागे के उत्पादन को वर्तमान के 350 टन से बढ़ाकर तीन गुना तक करने के प्रयास हों।बुनकरों, धागाकरण इकाइयों व सिल्क एक्सचेंज को डिजिटाइज कर एक प्लेटफार्म से जोड़ा जाए।