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बलरामपुर।बलरामपुर के तातापानी का नाम तो आपने सुना ही होगा लेकिन अब बलरामपुर जिले के ही नागरा गांव में खेती के लिए कराए गए बोरवेल में जब सबमर्सिबल पंप डाला तो पंप गर्म पानी देने लगा। यह पानी इतना गर्म है कि छूने से हाथ जलने लगता है। इसलिए किसान पानी को पहले एक तालाब में ले जाता है और जब पानी ठंडा होता है, तो उससे सिंचाई करता है।इस बोरवेल के आसपास 5 और भी बोरवेल हैं, जिनसे भी गर्म पानी निकलता है, लेकिन दो माह पहले कराए गए इस बोरवेल से निकलने वाले गर्म पानी से वह कम गर्म है। वहीं गर्म पानी में तातापानी में जिस तरह गंध आती है, ठीक उसी तरह यहां भी सल्फर की गंध आती है। अब यह इस गांव के लोगों के लिए कौतुहल का विषय बन गया है। किसान कालधारी सिंह ने बताया कि दो माह पहले सिंचाई के लिए 215 फीट गहरा बोरवेल कराया। 15 दिन पहले डेढ़ एचपी का बोर में सबमर्सिबल पंप डाला। जब उसे चालू किया तो गर्म पानी आने लगा, इसे छूने से हाथ जलने लगा। इसके बाद वहां से पाइप के माध्यम से पाइप को 200 मीटर दूर तालाब में ले जाया गया, ताकि पानी को ठंडा कर सिंचाई में उपयोग में लाया जा सके।
बलरामपुर के तातापानी से 30 किमी दूर है नागरा गांव
नागरा गांव बलरामपुर के तातापानी में गर्म जल के कई कुंड हैं। वहां से करीब 30 कमी दूर तातापानी में भू-गर्भ से गर्म पानी खुद निकल रहा है, जिसके गर्म कुंड को संरक्षित किया है। देशभर में गर्म पानी के नौ अलग-अलग कुंडों पर रिसर्च के बाद छत्तीसगढ़ के तातापानी को देश के पहले भू-तापीय (जियो थर्मल) पावर प्रोजेक्ट के लिए चुना था। एनटीपीसी ने यहां पावर प्लांट लगाने ग्लोबल टेंडर किया था। टेंडर में इस बात का जिक्र था कि कुंड के पास जमीन के भीतर 2 किमी गहराई तक सुरंग बनाई गई तो तापमान 200 डिग्री सेल्सियस तक प्राप्त हो जाएगा, लेकिन इस पर काम आगे नहीं बढ़ा। जियो थर्मल पावर पर काम नहीं बढ़ा आगे ग्लोबल टेंडर में जियो थर्मल पावर पर काम कर चुकी फिलीपींस की एंकेवेस और दुबई की अल्बाना कंपनियों के साथ-साथ देश की भी कुछ एजेंसियों ने रुचि दिखाई थी। इस प्रोजेक्ट के लिए क्रेडा और एनटीपीसी के बीच 2015 में अनुबंध हुआ था। दुनियाभर में अभी 24 देश जियो थर्मल बिजली बना रहे हैं, जिन्हें 78 देशों में सप्लाई की जा रही है । दुनिया का 88 फीसदी जियो-थर्मल पावर सात देश यूएसए, फिलीपींस, आइसलैंड, इंडोनेशिया, मैक्सिको, इटली और न्यूजीलैंड पैदा कर रहे हैं। इनमें सर्वाधिक 25 फीसदी बिजली आइसलैंड में पैदा की जा रही है।