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नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मामले में एग्जिट पोल्स के रुझान नतीजों में बदलने में सफल रहे हैं। सत्तारुढ़ बीजेपी ने 2017 के बाद लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश में जीत कर इतिहास रचने में कामयाब रही है। 1985 के बाद से राज्य में ऐसी कोई भी पार्टी दोबारा सत्ता में लौटने में विफल रही है, जो सत्ता में थी। ऐसे में बीजेपी की जीत ने नया इतिहास रच दिया है, जिसका अनुमान नतीजों से पूर्व सामने आए सभी एग्जिट पोल्स में लगाया गया था।1991 में बहुमत हासिल करने के 26 साल बाद एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी कर रही है और 2022 की जीत 2017 के विधानसभा चुनाव से कई मायनों में बड़ी और अहम है।
इससे उत्तर प्रदेश में और बीजेपी के भीतर योगी आदित्यनाथ का कद और भी मजबूत हुआ है, जो उत्तर प्रदेश के पांचवें ठाकुर मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले ठाकुर जाति के टीएन सिंह, वी पी सिंह, वीर बहादुर सिंह और राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साथ ही बीजेपी की केंद्रीय स्थिति भी मजबूत हुई है। 403 विधानसभा सीटों और 80 लोकसभा सीटों के साथ यूपी दिल्ली के सिंहासन पर कौन बैठेगा, यह तय करने वाला राज्य है।
बीजेपी ने चुनाव उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर लड़ा और योगी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी में अपने चुनाव प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी पर ‘गुंडाराज’ और कानून व्यवस्था को लेकर निशाना साधा था और उनकी यह रणनीति कामयाब रही है।
वहीं समाजवादी पार्टी अपेक्षाकृत ज्यादा लोकलुभावनकारी घोषणाओं के बावजूद कानून व्यवस्था के मामले को लेकर बनी ‘छवि’ को अपनी सियासी रणनीति से तोड़ने में विफल रही। इस समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल, सुभासपा और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और नतीजों से साफ है कि यह रणनीति सपा के लिए कारगर नहीं रही।
पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 47 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। समाजवादी पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 311 सीटों पर 21 फीसदी मत मिले थे, वहीं बीजेपी 39.6 फीसदी मतों के साथ अकेल 312 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।
इस संदर्भ में 2022 के जनादेश को देखा जाए तो बीजेपी ने अपनी स्थिति को पिछले चुनाव के मुकाबले मजबूत किया है। 2017 के मुकाबले सीटों की संख्या में कमी आने के बावजूद बीजेपी की वोट हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है। कहा जा सकता है कि यूपी का कोई विशेष क्षेत्र बीजेपी का गढ़ नहीं, बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश ही बीजेपी के गढ़ में तब्दील हो चुका है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मत हिस्सेदारी 39.67 फीसदी रही थी और चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 403 में से 249 सीटों पर आए रुझान के मुताबिक राज्य में बीजेपी में करीब 43 फीसदी मत मिला है। वहीं समाजवादी पार्टी ने भी पिछले चुनाव के मुकाबले अपनी स्थिति को मजबूत किया है और 403 सीटों में से 249 सीटों पर आए रुझान के आधार पर उसे करीब 31 फीसदी मत मिलता नजर आ रहा है।
2017 के मुकाबले देखें तो समाजवादी पार्टी काफी हद तक अपने वोट बैंक को गोलबंद करने में सफल रही। 2017 में पार्टी को 311 सीटों पर 21.82 फीसदी मत मिले थे। वहीं समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ी राष्ट्रीय लोक दल पार्टी की वोट हिस्सेदारी में इजाफा होता दिख रहा है। आरएलडी को पिछले चुनाव में मात्र 1.78 फीसदी मत मिला था। सपा को आरएलडी के गठबंधन से वह परिणाम नहीं मिले, जिसकी उम्मीद समाजवादी पार्टी को थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी काफी हद तक किसान आंदोलन के बाद उपजे आक्रोश का सफल चुनावी प्रबंधन करने में कामयाब रही है।

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