नई दिल्ली, जेएनएन एजेंसी। रूस यूक्रेन जंग के सौ दिन पूरे हो चुके हैं। अब इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। युद्ध की रणनीति बनाते समय शायद ही रूस ने सोचा हो कि यह युद्ध इतना लंबा चलेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि इस जंग का निष्कर्ष क्या होगा। क्या इस युद्ध में रूसी सेना की जीत होगी। इस युद्ध में यूक्रेन का क्या होगा। क्या रूसी सेना के मनोबल पर इसका असर पड़ रहा है। इस जंग में अमेरिका और पश्चिमी देशों की क्या रणनीति है। क्या अमेरिका और पश्चिम देश अपनी रणनीति में सफल हुए हैं। आइए जानते हैं कि इन तमाम सवालों पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूस यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) के सौ दिन पूरे हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी यह युद्ध और लंबा खिंच सकता है। प्रो पंत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि रूस और यूक्रेन दोनों एक दूसरे को थकाने में लगे हैं। हालांकि, दोनों मुल्कों ने हाल के दिनों में अपनी-अपनी बढ़त का एलान किया है, लेकिन सच यह है कि इस जंग में दोनों पक्षों को भारी क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि इस जंग में मोटे तौर पर रूस को बढ़त हासिल हुई है, क्योंकि उसकी सैनिक क्षमता यूक्रेन से कहीं ज्यादा है।
2- उन्होंने कहा कि रूस को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह जंग इतनी लंबी चलेगी। इसलिए कहा जा सकता है कि रूस ने जैसी योजना बनाई थी, उस हिसाब से वह फौरी जीत हासिल करने में नाकाम रहा है। जंग में यूक्रेन को पश्चिमी देशों और अमेरिका का खुलकर सहयोग और समर्थन मिल रहा है। पश्चिमी देश और अमेरिका यूक्रेन को रक्षा उपकरणों से लेकर मानवीय उपयोग की चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं। पश्चिमी देश और अमेरिका ने रूसी योजना पर पानी फेर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की यही मंशा रही होगी कि रूस को यूक्रेन में उलझा कर रखो। उन्होंने कहा कि जाहिर है कि रूस यूक्रेन की जंग जितनी लंबी चलेगी उतना रूस कमजोर होगा। दूसरे युद्ध के कारण रूस को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इसका सीधा असर उसकी आर्थिक व्यवस्था पर पड़ रहा है।
3- आखिर इस जंग में किसकी हार और जीत होगी। प्रो पंत ने कहा कि यूक्रेन रूस को खारकीएव से दूर रखने में सफल हुआ, लेकिन दक्षिण में रूस का पलड़ा भारी था। अब रूस ने मारियुपोल पर फतह हासिल कर बढ़त बना ली है। खारकीएव और मारियुपोल दोनों जगह की लड़ाइयों में बड़ी तादाद में सैनिक और नागरिक मारे गए, लेकिन दोनों जगह की जीत किसी एक पक्ष में निर्णायक साबित होती नहीं दिखती। किसी को भी नहीं लग रहा है कि यह जंग जल्दी खत्म हो जाएगी। अभी भी बहुत कुछ होना है। रूस आगे बढ़ रहा है, लेकिन बहुत धीमे-धीमे।
4- उन्होंने कहा कि इस लड़ाई का नतीजा केवल सैन्य ताकत पर निर्भर नहीं करेगा। रूस भी यूक्रेन को नुकसान पहुंचाने के लिए आर्थिक और राजनीतिक ताकत का भी इस्तेमाल कर रहा है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से रूस को तो आर्थिक नुकसान पहुंचा है, लेकिन यूक्रेन को ज्यादा नुकसान हुआ है। रूस की जीडीपी में अगले वर्ष 12 फीसद की गिरावट की आशंका है, लेकिन यूक्रेन की जीडीपी में 50 फीसद तक की गिरावट आ सकती है। रूस की ओर से काला सागर का रास्ता रोक लिए जाने से यूक्रेन को बहुत ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों की लगातार आर्थिक और सैन्य मदद काफी महत्वपूर्ण साबित होगी।
5- हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर यह युद्ध लंबा चला तो पश्चिमी देश भी इससे प्रभावति होंगे। पश्चिमी देशों की अपने-अपने देश की आंतरिक चुनौतियां है। पश्चिमी देशों को अपनी घरेलू चुनौतियों पर भी ध्यान देना होगा। रूस यूक्रेन जंग के चलते पश्चिमी देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। तेल और गैस के बढ़ते दाम से जीवन-यापन लगातार महंगा होता जा रहा है। युद्ध इसकी एक अहम वजह रहा है। उन्होंने कहा कि सर्दियों के आते ही रूस और यूक्रेन दोनों सेनाओं के लिए लड़ना और कठिन हो जाएगा। इसके साथ दुनिया के लिए आर्थिक संकट को झेलना भी और मुश्किल होता जाएगा।
रूस की बड़ी चुनौती, सेना के मनोबल पर असर
1- प्रो पंत का कहना कि पूर्वी इलाके में रूस के पास अहम बढ़त बनाने लिए सैनिकों की भारी कमी है। खास कर पैदल सेना में। रूस ने बुरी तरह घायल यूनिटों को फिर से व्यवस्थित और खड़ा करने की कोशिश की है। इन यूनिटों को फ्रैंक्स्टिन फोर्सेज कहा जाता है। इसके अलावा रूस की सेना में तालमेल और हौसले की कमी दिख रही है। उससे उसका प्रदर्शन खराब होता जा रहा है।
2- ब्रिटेन की मिलिट्री इंटेलिजेंस के हालिया आंकलन में कहा गया है कि रूसी कमांडर जल्दी नतीजे पाने में नाकाम रहे हैं। इसका असर रूसी सेना के मनोबल पर पड़ रहा है। इसलिए रूस एक बार सेना को इस तरह व्यवस्थित करना चाहते है, ताकि ज्यादा तीखे वार कर अंदर घुसा जा सके। लेकिन रूस के सेना के मनोबल को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। इस जंग में कितने रूसी सैनिक मारे गए इसका अंदाजा रूसी सरकार को नहीं था। उन्होंने कहा कि यह दावा किया जा रहा है कि हमलावर सैनिकों में रूस एक तिहाई को खो चुका है। साथ ही बड़ी तादाद में उसके सैनिक साजो सामान भी नष्ट हुए हैं।