[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”Listen to Post”]
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास हो गया। विपक्ष ने सरकार पर बिना चर्चा के इस विधेयक के पास कराने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार पर चर्चा से डरने का आरोप लगाया। वहीं सपा सांसद जया बच्चन ने कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा, जहां विपक्ष को बोलने की इजाजत नहीं दी गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस सरकार पर कुछ ऐसे लोगों के समूह का कब्जा है जो गरीब विरोधी है और किसानों-मजदूरों के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। कानूनों का निरस्त करना किसानों और मजदूरों की जीत है। सरकार को अब एमएसपी की मांग भी स्वीकार करनी चाहिए। इन कानूनों को जिस प्रकार से बिना चर्चा के रद्द किया गया वह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हुई उनके बारे में चर्चा होनी चाहिए थी।
राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा जहां विपक्ष को बोलने की भी अनुमति नहीं दी गई। इतना महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में बिना किसी चर्चा के पारित हो गया। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि संसद में कार्यवाही कैसे चल रही है। मैं कई वर्षों से सांसद हूं लेकिन यह पहली बार है जब मैं ऐसा माहौल देख रहा हूं, जहां विपक्ष के नेता जब बोल रहे थे तब केंद्रीय मंत्री की ओर से बीच में ही बीच में रोक दिया गया और उनको अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।
कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जो लोग किसान को नकली बताते थे आज उनको एहसास हुआ कि इनकी वोट असली है इसलिए उन्होंने अपने कदम पीछे हटाए। आज लोकतंत्र की फिर से हत्या हुई है। इस (कृषि क़ानून) पर चर्चा न पारित कराते समय हुई न वापस लेते समय हुई। यह लोकतंत्र नहीं ठोकतंत्र है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक नुकसान दिख रहा था इसलिए उनको मजबूरी में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा।