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छत्तीसगढ़। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 30 मई, सोमवार को रखा जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में हर एक तीज त्योहार के अपने-अपने नियम है। इसी तरह वट सावित्री व्रत के भी कुछ नियम है जिनका पालन जरूर करना चाहिए। जानिए वट सावित्री व्रत के दौरान किन गलतियों को करने से बचें।
वट सावित्री व्रत रखते समय न करें ये गलतियां
- माना जाता है कि वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को लाल, पीले, हरे जैसे कपड़े पहनना चाहिए। नीले, काले और सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
- सुहागिन महिलाओं को वट सावित्री व्रत की पूजा के दौरान नीली, काले रंग की चूड़ियां या फिर बिंदी लगाने से बचना चाहिए।
- जो महिला पहली बार व्रत कर रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि पहला व्रत मायके में करना चाहिए। ससुराल से इस व्रत की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है।
- जो महिला पहली बार व्रत रख रही हैं उसे वट सावित्री वन्रच ते दिन पूजा संबंधी सभी समाना मायके के द्नारा दिए गए ही इस्तेमाल करना चाहिए।
- अगर किसी महिला को वट सावित्री व्रत के दिन मासिक धर्म हैं तो वह खुद पूजा न करके दूसरी महिला से पूजा करा लें और पूजा स्थल से दूर बैठकर कथा सुनें।
- वट सावित्री व्रत के दौरान घी और तेल का दीरपक जलाया जाता है। जिन्हें सही दिशा में रखना बेहद जरूरी है। अगर आप घी का दीपक जला रही हैं तो इसे हमेशा दाएं ओर ही रखें और तेल का दीपक जला रही हैं तो बाएं ओर रखना चाहिए।
- पूजा सामग्री को हमेशा बाईं ओर रखना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।