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प्रशासनिक उपेक्षा और राजनीतिक संरक्षण के चलते नगर में अवैध कब्जे का खेल चल रहा है


कुंदन गुप्ता

कुसमी। बलरामपुर जिले के कुसमी नगर पंचायत स्थित राजस्व विभाग के भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर कब्जे का बड़ा कारोबार लंबे समय से चल रहा है। पड़ोसी प्रांत झारखंड और बिहार से यहां आकर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर मकान बनाने का काम धड़ल्ले से चल रहा है पर प्रशासन के साथ नगर पंचायत भी मौन है। पुलिस महकमा भी पड़ोसी प्रांतों से आकर धड़ल्ले से अतिक्रमण कर घर बनाकर रहने वाले लोगों की गतिविधियों को लेकर सकते में है। इस मामले की शिकायत कई बार की गई। हर बार जांच के लिए टीम व नोटिस जारी किया गया लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि न तो कब्जा हटा और न ही अतिक्रमण पर रोक लगाने कोई ठोस पहल हुई।

आज की स्थिति में धीरे-धीरे तहसील व एसडीएम कार्यालय से लगे राजस्व भूमि सहित पूरे नगर में करीब 150 घरो से भी अधिक घर अवैध रूप से अतिक्रमण कर बना रखा है।नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत 15 वार्ड आते हैं जो नगर की सीमा पर स्थित वार्ड क्रमांक 1, 2, 3, 4, 5, 6, 9 और 10 में बड़ी मात्रा में शासकीय जमीन स्थित है। इन वार्डों में नजूल एवं राजस्व विभाग की भूमि के अलावे वन विभाग के छोटे झाड़ की भूमि भी है। छोटे झाड़ के जंगल की भूमि पर किसी भी स्थिति में अतिक्रमण नहीं हो सकता और मकान नहीं बनाए जा सके, किन्तु यहां राजस्व व नजूल की भूमि के साथ वन भूमि पर भी बखौफ कब्जा किया जा रहा है। इस भूमि को प्लाटिंग कर टुकड़ों में योजनाबद्घ ढंग से बेचा जा रहा है। नगर के बेशकीमती भूमि पर पिछले 3 वर्षों से झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित अन्य क्षेत्रों से आकर बेधड़क शासकीय जमीनों को कब्जा कर निवासरत हो चुके हैं। वार्ड क्रमांक तीन में एसडीओपी कार्यालय के लिए भूमि शासन द्वारा एलाट किया था परंतु उक्त भूमि में कई कब्जाधारियों ने फर्जी पट्टा बनाकर मकान बना लिया है और निवासरत हैं। वार्ड क्रमांक दो में वन विभाग विश्राम गृह से सामने छोटे झाड़ के जंगल में शासकीय कर्मचारियों सहित लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। लेकिन राजस्व विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं किया गया।

अवैध पट्टा बनाने का कारोबार जोरों पर
सरकारी जमीन के रकबा को बी-वन और खसरा में दर्ज भी लेन-देन कर किया जा रहा है। इसमें अधिकारी-कर्मचारियों के साथ भू-माफिया की भी मिलीभगत है। जानकारों के मुताबिक नगर के किसी भी जगह का कोई एक खसरा नंबर और उसके रकबा को सेटलमेंट के समय और आज के समय से मिलान करें तो काफी मात्रा में यह रकबा बढ़ा हुआ मिलेगा, जिसका स्थानीय रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्री भी किया जा चुका है जबकि खसरा नंबर का हजारों बटांकन हो सकता है, परंतु रकबा सेटलमेंट के समय का ही रहेगा। दूसरे राज्यों से आकर जो लोग पूर्व में अवैध कब्जा करके निवासरत है, उनके द्वारा अलग-अलग के स्थानों में धीरे-धीरे ओर कब्जा करके प्लाटिंग करके बाहरी लोगों को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।

बन जाता है आधार कार्ड और राशन कार्ड
नगर की सीमा में स्थित शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को शासकीय योजनाओं का भी लाभ जमकर ले रहे है। इनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बन जाते हैं। नगर पंचायत और राजस्व विभाग मिलकर पहचान पत्र बनाते हैं। इसी पहचान पत्र से वितरण कंपनी द्वारा बिजली कनेक्शन भी दे दिया जाता है। वही दूसरे राज्यों से आकर कब्जा करके बसने वाले लोगों से पुलिस विभाग भी परेशान है। कब्जाधारियों द्वारा बेतहाशा शासकीय जमीन में कब्जा किया जा रहा हैं। इनसे अपराध बढ़ रहे हैं परंतु अभी तक किसी भी तरह का कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई।
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि और ऑफिसर

पिछले 3 सालों में सरकार में बैठे नेताओ के सह पर एक समुदाय के विशेष लोगों को अतिक्रमण करने में सहयोग किया जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से प. बंगाल, झारखंड के अधितर लोग शामिल है जो जाँच का विषय है। आनंद जायसवाल, पार्षद भाजपा।

जाँच कर की जाएगी कार्यवाही
कुंदन कुमार, कलेक्टर बलरामपुर| 

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