अम्बिकापुर: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बिकापुर के अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश अम्बिकापुर राकेश बिहारी घोरे के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बिकापुर के सचिव अमित जिन्दल द्वारा 30 जून 2022 को दोपहर 12 बजे न्याय सदन भवन, न्यायालय परिसर अंबिकापुर में शिविर लगाकर बाल अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई।
श्री जिन्दल ने कहा कि बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-24 में चौदह वर्ष से कम आयु के बच्चे को किसी कारखाने या खान या खतरनाक काम में न लगाये जाने का प्रावधान है तथा अनुच्छेद-39 (ई) में बालकां की सुकुमार अवस्था का दुरुपयोग
रोकने का प्रावधान है तथा अनुच्छेद-39 (एफ) में बालकों को स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएं दिये जाने का प्रावधान है तथा संविधान की इन्हीं भावनाओं को ध्यान रखते हुए नालसा (बच्चो को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं और उनके संरक्षण लिए विधिक सेवाएं) योजना, 2015 लायी गई जिसमें बालकों के सर्वोत्तम हित, बाल कल्याण की बात की गई तथा किशोरों को विधिक सेवा के माध्यम से अधिवक्ता दिए जाने का प्रावधान है तथा बच्चों के अधिकारों के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार का प्रावधान है। श्री जिन्दल ने बताया कि बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम के अनुसार किसी भी बालक से 3 घण्टे से ज्यादा लगातार काम नहीं कराया जा सकता जिसके बाद उसे आधे घंटे के लिए आराम के लिए समय दिया जायेगा।
श्री जिन्दल ने आगे बताया कि किसी भी बालक से रात्रि 7 बजे से प्रातः 8 बजे के मध्य कार्य कराया जाना अधिनियम में मना किया गया है और बालक को एक दिन का साप्ताहिक अवकाश दिया जाना आवश्यक है। बाल श्रम की समस्या को खत्म एवं संविधान के जनादेश की प्रभावोत्पादकता हेतु उच्चतम न्यायालय ने भी एम. सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य 1996 में निर्देश दिया कि नियोजक को बालश्रम (निषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986 के उल्लंघन में 14 वर्ष से कम के बालक को खतरनाक कार्य में लगाने पर रू० 20,000/- का मुआवजा देना है तथा समुचित सरकार को ऐसे प्रत्येक बच्चे को जो खतरनाक काम में कार्यरत है, रू0 5,000/- अनुदान के रूप में देना है उक्त रकम 25,000/- को कोष में जमा करना होगा।
कार्यक्रम वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, विशेष किशोर पुलिस यूनिट, किशोर न्याय बार्ड एवं बाल कल्याण समिति अंबिकापुर के सदस्यों, काउंसलर पैनल अधिवक्ता एवं पैरालीगल वालेंटियर विधि छात्रों के साथ सेमिनार, प्रशिक्षण, ओरियंटेशन व सेंसिटाईजेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।