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नई दिल्ली, एएनआइ। शुक्रवार को संसद में होने जा रहे संविधान दिवस समारोह में कांग्रेस ने शामिल नहीं होने का फैसला लिया है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया, कांग्रेस सांसद कल संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम (संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले) में भाग नहीं लेंगे। उसका आरोप है कि नरेन्द्र मोदी सरकार संविधान पर निरंतर हमले कर रही है और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई पार्टी के संसदीय मामलों के रणनीतिक समूह की बैठक में यह फैसला लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी, आनंद शर्मा और जयराम रमेश ने अन्य विपक्षी नेताओं से कल होने जा रहे कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को कहा है। इस बीच बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सांसद प्रसन्ना आचार्य ने एएनआइ को बताया कि पार्टी ने संसद के सेंट्रल हाल में संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का कोई फैसला नहीं लिया है।
संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्र आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संविधान दिवस मनाएगा। समारोह के एक हिस्से के रूप में संसद और विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग लेंगे।
पिछले साल भी कांग्रेस ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, जब सरकार संविधान पर निरंतर हमले कर रही है और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है तो फिर ऐसे कार्यक्रम का दिखावा क्या करना है। हम संविधान पर हमले करने वाली सरकार के ऐसे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते।सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के नेता विपक्षी दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। द्रमुक, शिवसेना, आरएसपी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा, राजद, झामुमो, आइयूएमएल और कुछ अन्य दल भी इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर सकते हैं।
गौरतलब है कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संसद के केंद्रीय कक्ष में शुक्रवार (26 नवंबर) को संविधान दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे। संसदीय कार्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, राष्ट्रपति अपने संबोधन के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे। उनके साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने के लिए पूरे देश को आमंत्रित किया गया है।