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नई दिल्‍ली ,एएनआई एजेंसी। कांग्रेल संसदीय दल (सीपीपी) की बैठक में आगामी बजट सत्र में सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने रणनीति तैयार कर ली है। आज इस बाबत पार्टी की कार्यकारी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने अपने आवास पर एक बैठक बुलाई थी। इसकी जानकारी देते हुए कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस दौरान उन मुद्दों पर चर्चा हुई जो संसद में सत्र के दौरान उठाए जाएंगे। खड़गे ने बताया कि कांग्रेस बजट सत्र में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के लिए एमएसपी और यूक्रेन से भारत वापस लाए गए मेडिकल छात्रों के भविष्‍य का मुद्दा सदन में उठाएगी। इस बैठक में खड़गे के अलावा आनंद शर्मा, के सुरेश और जयराम रमेश ने भी हिस्‍सा लिया था। आपको बता दें कि कांग्रेस की दोपहर बाद करीब चार बजे एक और बैठक होनी है जिसमें पांच राज्‍यों में हुई उसकी करारी हार पर चिंतन किया जाएगा।  पांच राज्यों में कांग्रेस की करारी हार को देखते हुए आज की दोनों ही बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ऐसा भी माना जा रहा है कि दोपहर बाद होने वाली बैठक में पार्टी कुछ बड़े फैसले भी ले सकती है। ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब कांग्रेस का जी 25 ग्रुप इस बारे में पहले ही एक्टिव हो चुका है। ये ग्रुप कांग्रेस के असंतुष्‍ट नेताओं का बना है। कांग्रेस में ही बने इन दो खेमों में अक्‍सर जुबानी जंग होती रहती है। जी25 ग्रुप पार्टी में बड़े फेरबदल की मांग करता रहा है। जबकि दूसरे ग्रुप के सदस्‍य इसके हक में नहीं हैं। 
बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में पांच राज्‍यों में अपनी हार को स्‍वीकार करते हुए अन्‍य पार्टियों को जीत की बधाई भी दी थी। आपको बता दें कि कांग्रेस के हाथों में पहले तीन राज्‍य थे, जो अब केवल दो पर ही सिमट गए हैं। पंंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को जबरदस्‍त शिकस्‍त दी है। इस पार्टी के पास भी अब दो राज्‍य  हो गए हैं। देश के सबसे बड़े सूबे उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस ने पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी को जिम्‍मेदारी दी थी लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से धड़ाम रही है। 
इन चुनावों में कांग्रेस का न सिर्फ वोट प्रतिशत कम हुआ है बल्कि सीटों के मामले में भी वो बेहद कमजोर हो गई है। इतना ही नहीं कुछ दूसरी छोटी और क्षेत्रिय पार्टियों ने इस चुनाव में कांग्रेस से अधिक वोट प्रतिशत और सीट हासिल की हैं। यही वजह है कि राजनीतिक विश्‍लेषक कांग्रेस के भविष्‍य को अंधकार में घिरा हुआ मान रहे हैं। इन चुनावों के बाद पार्टी की ताकत राज्‍यसभा में भी कम होगी।  

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