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नई दिल्ली, एजेंसी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न की होने वाली सरकारी खरीद को लेकर उठते सवालों पर विराम लगाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कर दिया है कि एमएसपी जारी रहेगी। बजट प्रस्तावों में पहली बार सरकारी खरीद को शामिल किया गया है।वित्तमंत्री ने बजट भाषण में कृषि क्षेत्र पर अपनी बात की शुरुआत ही अनाज की सरकारी खरीद से की। उन्होंने कहा कि रबी सीजन 2021-22 और खरीफ सीजन में कुल 12.08 करोड़ टन गेहूं व धान की खरीद की जाएगी। इसका लाभ 1.63 करोड़ किसानों को मिलेगा। गेहूं व धान की खरीद पर कुल 2.37 लाख करोड़ रुपए व्यय हेोंगे। इतनी बड़ी धनराशि का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में किया जाएगा। हालांकि, बजट में दूसरी फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

सरकार के समक्ष खाद्यान्न की खरीद करना उसकी बड़ी जिम्मेदारी
एमएसपी को लेकर किसानों के बीच भ्रम फैल रहा था कि सरकार इसे बंद कर सकती है जिसे बजट के मार्फत साफ कर दिया गया है। दरअसल, राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी इस घोषणा के मायने निकाले जा सकते हैं। परंतु, सरकार के समक्ष खाद्यान्न की खरीद करना उसकी बड़ी जिम्मेदारी भी है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत देश की दो तिहाई आबादी को राशन प्रणाली के तहत अति रियायती दर पर अनाज वितरण करना ही है। इसके लिए कुल छह करोड़ टन से अधिक अनाज की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी खाद्यान्न की जरूरत पड़ती है। इसलिए सरकार के लिए अनाज की खरीद करना उसकी मजबूरी भी है। बता दें कि रबी सीजन 2021-22 में गेहूं की खरीद और खरीफ सीजन 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद से 163 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं और धान का कवर मिलेगा और 2.37 लाख करोड़ रुपये उनके एमएसपी मूल्य का सीधा भुगतान होगा।

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