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कुंदन गुप्ता

कुसमी। प्रदेश सहित ब्लॉक में इस साल बुधवार से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू हो चुका है, लेकिन इससे पहले ही बिचौलिये दूसरे राज्य से अपने गुप्त गोदामों में अवैध धान का भंडारण करने में जुट गए हैं। झारखंड सरहदी सीमा में प्रशासन ने चेक पोस्ट बैरियर और जांच केंद्र बना रखे हैं लेकिन इसके बाद भी यहां व दूसरे रास्ते से अवैध तरीके से धान परिवहन धड़ल्ले से जारी है।

प्रशासन द्वारा इन जगहों पर चेक पोस्ट बैरियर नही बनाया गया है।दूसरी तरफ कुछ दिन पहले ही बलरामपुर कलेक्टर ने अफसरों को दूसरे राज्य से धान यहां न पहुंचे इसके लिए चेकपोस्ट लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसे गम्भीरता से नहीं लिया गया। पड़ताल में खुलासा हुआ है कि इस साल देरी से धान खरीदी होने पर बिचौलियों ने झारखंड सहित अन्य जगह के व्यापारियों से 14 सौ रुपये क्विंटल में धान खरीदकर उसे यहां रात में चोरी छिपे ला रहे हैं। अब तक कई ट्रक-पीकप धान यहां आ चुका है। वही बताया जा रहा है कि सरहदी सीमा पर ड्यूटी पर मौजूद जिम्मेदार कर्मचारी वाहनों की सही तरीके से जांच ही नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण पिछले हफ्ते देर रात करोंधा चेक पोस्ट निरीक्षण में पहुँचे एसडीएम अजय किशोर लकड़ा नदारत मिले एक पटवारी को निलंबित सहित अन्य दो पर कार्यवाही ने अनुशंसा कर कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया था। बता दें कि पिछले साल राजस्व और पुलिस की टीम ने सीमाओं पर एक दर्जन से भी अधिक कई वाहनो को जब्त किया था। इस बार राज्य शासन ने किसानों से धान खरीदने के लिए मात्रा निर्धारित कर दी है। इसके तहत प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदी की जा रही है। दरअसल किसानों की धान की आड़ में बिचौलिए बाहर से लाकर खरीदी केंद्रों में धान खपाते हैं। यही वजह है कि सरकार ने सख्ती दिखाई है और लिमिट तय की है। फिर भी दूसरे राज्यों से धान का अवैध परिवहन कम नहीं हुआ है। जबकि राज्य शासन ने दूसरे राज्यों की सीमा वाले जिलों को अंतरराज्यीय बैरियर बनाकर प्रशासन सहित पुलिस को निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार यहां किसानों से 25 सौ स्र्पये क्विंटल में धान खरीदी कर रही है। यह अलग बात है कि समर्थन मूल्य कम है। लेकिन राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत शेष रकम को किस्तों में देने की योजना है। यही वजह है कि यहां धान की अधिक कीमत पाने के लिए दूसरे राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों से यहां धान का अवैध परिवहन कर खपाने की योजना है।

बिचौलिये पहले ही किसानों के नाम पर ले रखे हैं कर्ज
जिन किसानों के नाम पर बिचौलिये धान बेचते हैं उनके नाम पर महीनो पहले ही सहकारी बैंक और समिति के कर्मियों की मिलीभगत से कर्ज ले लेते हैं और वह कर्ज तब पट जाता है जब उसके नाम पर धान बेचा जाता है। इससे किसानों को कहा जा सकता है कि धान का पैसा महीनो पहले ही मिल जाता है। बता दें कि जब कांग्रेस की राज्य में सरकार बनी तब पहले से बिचौलियों ने किसानों के नाम पर कर्ज ले रखा था जो माफ हो गया उससे कई बिचौलियों को लाखों रुपए का फायदा हुआ लेकिन उसकी गहराई से जांच नहीं हुई।
किसानों के नाम पर बिचौलिया बेचते हैं धान
दूसरे राज्यों से धान लाने के बाद उसे किसानों के घर पर भी रख देते हैं। इसके बाद जब पटवारी उस धान का सत्यापन के लिए जाता है तो किसान उसे अपना धान बताता है। इसके बाद वह अपने नाम पर उसे बेचता है, हालांकि तब सहकारी समितियों के कर्मचारियों को ऐसे किसानों के बारे में पता होता है लेकिन उनकी भी मिलीभगत से किसान बच जाते हैं।


सरहदी सीमा के दोनो चेक पोस्ट करचा और करोंधा 24 घंटे कर्मचारियों एव पुलिस जवान ड्यूटी में मुस्तेदी से तैनात है। वहाँ से किसी प्रकार का अवैध धान का परिवहन नही हो रहा है। राजेन्द्रपुर और अमटाही से दूसरे राज्य आने वाले मार्ग का खुद जाकर अवलोकन किया जाएगा, आवश्यकता अनुरूप बैरियर बनाया जायेगा।
अजय किशोर लकड़ा, एसडीएम कुसमी।

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