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रायपुर: तीन कृषि कानूनों के रद्द हो जाने के बाद भी इस मुद्दे पर राजनैतिक गरमा- गर्मी बरकरार है. मोदी सरकार के इस बड़े फैसले के बाद, राज्यसभा सत्र के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के 12 सांसदों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने की खीझ सांसदों को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर निकाल रही है. उन 12 सांसदों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बघेल ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया लेकिन इसे दिल से नहीं मजबूरी में वापस लिया गया. इसलिए, केंद्र सरकार खीझ सांसदों पर निकाल रही है.” मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनको (सांसदों को) निलंबित करने का फैसला ठीक नहीं है. राज्यसभा के सभापति को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए.” संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के लिए, वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम और छाया वर्मा भी शामिल हैं. संसद के मॉनसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी. समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ सोमवार को कार्रवाई की गई. संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक प्रस्तावित है.

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