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नई दिल्ली। जंबो कार्यसमिति में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी और सात जिलाध्यक्षों को हटाए जाने का मसला दिल्ली कांग्रेस के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। भीतर ही भीतर सुलग रही बगावत की ¨चगारी अब धधकने लगी है। शायद यही वजह है कि गुस्से से भरे अनदेखी के शिकार नेताओं के सब्र का बांध टूटने लगा है। ऐसे ही कुछ नेताओं ने बृहस्पतिवार को पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को पत्र भेजकर दिल्ली कांग्रेस का हाल बयां कर ही दिया। पत्र की प्रति एआइसीसी की अनुशासन समिति की सदस्य अंबिका सोनी को भी भेजी गई है। शीला दीक्षित सरकार के एक पूर्व मंत्री तो शुक्रवार को सोनिया से मिलकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक, इस पत्र में सोनिया गांधी को दिल्ली कांग्रेस की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही राजधानी दिल्ली में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस की इस हालत के लिए इन नेताओं ने प्रदेश प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। पत्र लिखने वालों में पूर्व विधायक से लेकर पूर्व निगम पार्षद तक शामिल हैं। इन सभी ने आलाकमान को एमसीडी चुनाव के प्रति आगाह करते हुए यह भी कहा है कि राजनीतिक माफियाओं ने दिल्ली में कांग्रेस का विनाश कर दिया है। अब ये राजनीतिक माफिया कौन है, पत्र में स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन इशारा जरूर किया गया है। इसमें कहा गया है कि कार्यकर्ता काम करने के लिए तैयार है लेकिन पार्टी के भीतर आत्म-सम्मान नहीं मिल रहा है। उनके वजूद को पार्टी नकार रही है।
पत्र में शिकायत की गई है कि दिल्ली में कांग्रेस का संगठन बुरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। प्रदेश नेतृत्व पार्टी में नए खून को आकर्षित करने और उत्साहित करने में बुरी तरह विफल रहा है। पुराने मेहनती कैडर को या तो बेवजह हटा दिया गया है या पार्टी छोड़ कर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पत्र में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस पर निरंकुश होने का आरोप भी लगाया गया है। सूत्रों का कहना है कि इस पत्र के अलावा कई नेताओं ने आलाकमान से व्यक्तिगत तौर पर मिलने का समय मांगा है। अब देखना है कि सोनिया गांधी या राहुल गांधी इस मसले में कितनी गंभीरता दिखाते हैं
एक और मौजूदा पार्षद ने पार्टी से दिया इस्तीफा
इस बीच कांग्रेस की एक और मौजूदा पार्षद पूनम बागड़ी व उनके पति अशवनी बागड़ी ने बृहस्पतिवार को सोनिया गांधी के नाम पार्टी के सभी पदों से अपना इस्तीफा भेज दिया है। इस इस्तीफे की वजह बताते हुए उन्होंले लिखा है कि प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी के चलते कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। आपसी गुटबाजी के कारण कांग्रेस का दिल्ली प्रदेश नेतृत्व जमीनी मुद्दों पर संघर्ष नहीं करता। बागड़ी ने प्रदेश नेतृत्व पर सहयोग नहीं करने का आरोप भी लगाया है।