नई दिल्ली. केंद्र सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया गया प्रतिबंध आज यानी 1 जुलाई से लागू हो गया है. राज्य सरकारें इस प्रतिबंध का पालन सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाएंगी और सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन, वितरण, भंडारण या बिक्री करने वाली इकाइयों को बंद करेंगी. 28 जून को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सूचित किया था कि 1 जुलाई से देश में चिह्नित सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लग जाएगा.
हालांकि, इसके खिलाफ व्यापार संगठनों ने आवाज भी उठाई है. उनका कहना है कि पहले सरकार को इस संबंध में एक समिति बनाकर सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प ढूंढना चाहिए और उसके बाद इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, भारत हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन करता है. आइए जानते हैं इस बैन के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें.
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि जो भी उस प्रतिबंध का उल्लंघन करता पाया गया उसके खिलाफ उचित धाराओं के तहत कार्रवाई होगी. उस पर जुर्माना लगाने के साथ उसे जेल भी भेजा सकता है. जुर्माना 1 लाख रुपये और सजा 5 साल तक की हो सकती है. अगर बार-बार आदेश की अवहेलना की गई तो हर दिन जुर्माना 5,000 रुपये बढ़ सकता है. हालांकि, दिल्ली में आम लोगों पर जुर्माना 500 रुपये से 2,000 तक हो सकता है. गौरतलब है कि हर राज्य के स्थानीय प्राधिकरण एक केंद्रीय जुर्माने के अतिरिक्त अपना जुर्माना खुद भी तय करेंगे
- .मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, बैन का पालन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम सेटअप किए गए हैं. इसके अलावा विशेष प्रवर्तन (इनफोर्समेंट) टीमों का गठन किया है जो सिंगल यूज प्लास्टिक के अवैध निर्माण, वितरण और भंडारण पर नजर रखेंगी. इसके अलावा इसके अंतरराज्यीय आवागमन को रोकने के लिए राज्य की सीमाओं पर चेक पॉइंट्स लगाए जाएंगे
- केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक शिकायत प्रणाली भी लॉन्च की है जिसके जरिए आम नागरिक प्राधिकरणों को प्रतिबंधित प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों की सूचना दे पाएंगे. बता दें कि एफसीजी कंपनियां पैकेजिंग के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कर सकती हैं.
- कंपनियां अब प्लास्टिक स्ट्रॉ पर शिफ्ट कर चुकी हैं. हालांकि, इससे उनकी लागत बढ़ गई है. गौरतलब है कि सरकार ने इन कंपनियों द्वारा बैन लागू होने का समय 6 महीने बढ़ाने की मांग ठुकरा दी थी.
- प्रतिबंध में ईयरबड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, झंडे, कैंडी स्टिक्स, आईसक्रीम स्टीक, थर्मोकॉल, प्लेट्स, कप्स, चम्मच, गिलास, छुरी, स्ट्रॉ, ट्रे, डिब्बों को पैक करने वाली प्लास्टिक सहित 100 माइक्रोन या स्टीर्रस कंपोजिशन वाले प्लास्टिक आइटम शामिल हैं.
- दिल्ली में राजस्व विभाग और दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने क्रमश: 33 व 15 टीमों का गठन किया है. दिल्ली हर दिन 1060 टन प्लास्टिक वेस्ट का उत्पादन करती है.
दिल्ली पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाली किसी भी इकाई को तुरंत बंद कर दिया जाएगा. - अधिकारियों के कहना है कि बैन के खिलाफ जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
- दिल्ली में पर्यावरण विभाग, एमसीडी व अन्य स्थानीय निकाय इस प्रतिबंध का पालन सुनिश्चित करेंगे.
- एमसीडी और स्थानीय निकाय दोषियों के खिलाफ अपने नियमों के तहत कार्रवाई करेंगे और राजस्व विभाग पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत कार्रवाई करेगा. बैन सुनिश्चित करने के लिए ग्रीन वॉर रूम सेटअप किया गया है.
- इसके अलावा दिल्ली में प्लास्टिक संबंधी शिकायत दर्ज करने के लिए ग्रीन एप्लीकेशन को अपडेट किया गया है. साथ ही दिल्ली सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के खात्में में रुकावट बनने वाले कारकों का पता लगाने के लिए अध्ययन करने का फैसला किया है.