अंबिकापुर। सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में धर्म परिवर्तन बड़ी तेजी से चल रहा है। कुसमी इलाके के पचपेडी, चुनचुना, पीपरढाब सहित आसपास गांव के कई परिवार ने अपना धर्म बदल लिया है। इसके पीछे की वजह अलग अलग है, धर्म बदलने वालों का कहना है कि परिवार के सदस्यों का स्वास्थ खराब रहना, मेहनत करने के बाद भी पैसा नहीं बचना जैसे कई कारण हैं जिसकी वजह से उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया है।

पचपेड़ी निवासी पहाड़ी कोरवा जनजाति के अखिलेश का कहना है कि उसकी मां का तबियत खराब रहता था इस उन्होंने झाडफूंक कराया तो देवारी करने वालों ने उनसे सैतान का साया बताया और सैतान क़ो भगाने के लिए शराब, मुर्गी, बकरा का पूजा मांगा, यह सब देने के बाद भी कोई असर नहीं हुआ, वे जितना कमाते थे सब इसी में खर्च हो रहा था तो वे चंगाई सभा में जाने लगे, इसके बाद वहां उन्होंने अपनी समस्या बताई और वहां से पादरी सहित अन्य लोगों ने उनके घर में आकर प्रार्थना किया तो स्वास्थ में सुधार हुआ इसके बाद उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया। अखिलेश बताता है कि पिपरढाब गांव के दो परिवार, पूंदाग व कोटवारी के चार परिवार और उसके गांव के सात परिवार ने अपना धर्म बदला है।


राजपुर क्षेत्र में भी तेजी से लोगों ने बदला धर्म

राजपुर क्षेत्र में स्थित उधवाकठरा गांव में भी एक दशक के भीतर 30 परिवार से अधिक ने धर्म परिवर्तन किया है। यहां के लोगों का कहना है कि धर्म परिवर्तन से पहले परिवार में आर्थिक सम्पन्नता नहीं थी लेकिन अब है, क्योंकि धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने शराब पीना छोड़ दिया है। अब यहां चर्च भी बन गए हैं। इसके अलावा खुखरी, उधवाकठरा, चाची, बारियों में कई पारिवारों ने कुछ सालों में दूसरा धर्म अपनाया है।


जानिए कैसे हो रहा धर्म परिवर्तन

धर्म परिवर्तन करने वाले अधिकतर लोगों का कहना है कि उनके परिवार में लोग बीमार रहते थे लेकिन ज़ब उनका तबियत ठीक नहीं हुआ तो उन्होंने धर्म परिवर्तन किया और इसके लिए वे गांव गांव में होने वाले चंगाई सभा में जाने लगे। बता दे कि किसी गांव का एक आदमी भी धर्म परिवर्तन करता है तो कुछ दिन बाद उसके घर में चंगाई सभा लगने लगता है और फिर वहां स्वास्थ सहित अन्य पारिवारिक समस्या से परेशान आसपास गांव के लोग आने लगते हैं। इसके बाद वे भी धर्म परिवर्तन कर लेते हैं।


कागजों में हिन्दू लेकिन पूजा पद्धति में नहीं

धर्म परिवर्तन करने वाले अपनी पूजा पद्धति बदलते हैं लेकिन वे सरकारी दस्तावेजों में खुद क़ो हिन्दू ही बताते हैं। ऐसे में उन्होंने धर्म बदला या नहीं यह उनसे बातचीत और उनके घर में पूजा पाठ व प्रार्थना के लिए रखे तस्वीरों से ही पता चलता है।

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