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नई दिल्ली, एजेंसी। अब सरकार ने भी मान लिया है कि 2,000 रुपये के नोट बाजार से धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। मंगलवार को वित्त राज्यमंत्री डा. के. केशव राव की तरफ से संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले तीन वर्षो से 2,000 रुपये के नए नोट नहीं छापे जा रहे हैं। इसके साथ ही बाजार में इस समय जितने करेंसी नोट प्रचलन में हैं, उनमें भी 2,000 के नोट की हिस्सेदारी लगातार घट रही है। वित्त मंत्रालय के अनुसार मार्च, 2018 के आखिर में बाजार में 2,000 रुपये के 336.30 करोड़ नोट चलन में थे। इस वर्ष 26 नवंबर को बाजार में 2,000 रुपये के सिर्फ 223.30 करोड़ नोट चलन में रह गए।मंत्रालय के अनुसार मार्च, 2018 के आखिर में कुल नोट में 2,000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 3.27 प्रतिशत और नोटों के मूल्य के हिसाब से यह हिस्सेदारी 37.26 प्रतिशत की थी जो इस साल नवंबर में घटकर क्रमश: 1.75 प्रतिशत और 15.11 प्रतिशत रह गई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक नोट की छपाई की फैसला भारत सरकार लोगों की जरूरतों के हिसाब से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की सलाह पर लेती है और वित्त वर्ष 2018-19 के बाद से सरकार की तरफ से प्रेस को 2,000 रुपये के नोट छापने के कोई आर्डर नहीं दिए गए। वित्त राज्य मंत्री की तरफ से संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018-19 के बाद से छपाई नहीं होने से नोट के कुल चलन में 2,000 रुपये के नोट की कमी हो गई है। वहीं, समय के साथ नोट गंदे और खराब हो जाते हैं। इससे भी बाजार में नोट कम हो जाते हैं। लोगों का कहना है कि अब एटीएम से या बैंक से नकद राशि निकालने पर 2,000 रुपये के नोट काफी कम संख्या में मिलते हैं। सूत्रों का कहना है कि बैंक में जमा होने वाले 2,000 रुपये के नोट को भी अब चलन में नहीं भेजा जा रहा है।

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