राजनांदगांव: पुलिस भर्ती में गड़बड़ी के मामले में जांच का सामना कर रहे आरक्षक अनिल रत्नाकर ने आत्महत्या कर ली। उसकी लाश जिले के मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर ग्राम घोरदा के एक खेत में फंदे से लटकी हुई पाई गई। मृतक ने अपने बाएँ हाथ की हथेली पर सुसाइडल नोट लिखा था, जिसमें उसने भर्ती में गड़बड़ी के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि भर्ती में तैनात कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है जबकि अधिकारियों को बचाया जा रहा है।
दरअसल 12 दिसंबर को राजनांदगांव जिले के थाना लालबाग में डीएसपी तनुप्रिया पटेल ने पुलिस भर्ती में गड़बड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। यह भर्ती प्रक्रिया दुर्ग रेंज में चल रही थी, जिसमें राजनांदगांव जिले की 8वीं बटालियन में शारीरिक दक्षता और अन्य प्रक्रिया आयोजित हो रही थी। इस भर्ती में कुछ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अभ्यर्थियों को नियमों के खिलाफ अवसर दिया और गलत तरीके से अधिक अंक प्रदान किए।इस मामले में संलिप्त 15 से अधिक आरक्षकों को लाइन अटैच किया गया है और उनके मोबाइल भी जब्त कर लिए गए थे। मृतक आरक्षक अनिल रत्नाकर भी इन्हीं में से एक था।
अनिल रत्नाकर के बड़े भाई सुनील ने आरोप लगाया कि उनके भाई को जानबूझकर फंसाया जा रहा था। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को उनके भाई ने उन्हें फोन पर बताया था कि भर्ती में शामिल अधिकारी अपने आप को बचाने के लिए कर्मचारियों को फंसा रहे हैं। अगले दिन ही उन्हें अपने भाई की आत्महत्या की खबर मिली।
मृतक आरक्षक अनिल रत्नाकर खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के जालबांधा थाने में तैनात था और मूल रूप से महासमुंद जिले का निवासी था।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि “राजनांदगांव का पुलिस भर्ती घोटाला गंभीर मामला है। आरक्षक अनिल रत्नाकर ने आत्महत्या से पहले जो लिखा, वह इसकी गंभीरता को दर्शाता है। भ्रष्टाचार हुआ है और अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। अब उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।”