नई दिल्ली: बजट से एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश कर दिया है। आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।
सबसे पहला आर्थिक सर्वेक्षण
पीटीआई के मुताबिक, पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में अस्तित्व में आया था, जब यह बजट दस्तावेजों का हिस्सा हुआ करता था। 1960 के दशक में इसे केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया था और बजट पेश होने से एक दिन पहले पेश किया गया था। वित्त मंत्री द्वारा 2025-26 का केंद्रीय बजट शनिवार को पेश किया जाएगा। सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष के लिए दृष्टिकोण प्रदान करने के अलावा अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की रूपरेखा दी गई है। अक्सर सर्वेक्षण गरीबी उन्मूलन, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, बुनियादी ढांचे के विकास और वित्तीय क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए नए और अनोखे विचार लेकर आते हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुमान के मुताबिक, कमजोर विनिर्माण और निवेश के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो 4 साल का सबसे निचला स्तर है। यह पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.5-7 प्रतिशत और भारतीय रिजर्व बैंक के 6.6 प्रतिशत के अनुमान से कम है। सर्वेक्षण के मुताबिक, जारी संघर्षों और तनावों के कारण भू-राजनीतिक जोखिम उच्च बने हुए हैं, जो वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर रहे हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण कृषि और औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचे, रोजगार, मुद्रा आपूर्ति, कीमतें, आयात, निर्यात और विदेशी मुद्रा भंडार आदि पर प्रकाश डालते हैं। साथ ही अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारकों और सरकार की राजकोषीय रणनीति पर उनके प्रभाव को दर्शाते हैं।