बलरामपुर। बलरामपुर जिले में अवैध ईंट निर्माण का धंधा बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है। ग्रामीण इलाकों में ईंट पकाने के लिए जंगल की लकड़ी का बड़े स्तर पर उपयोग किया जा रहा है, जिससे वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

ताजा मामला बलरामपुर वन परिक्षेत्र का है, जहां ग्रामीणों द्वारा जंगल के हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर ईंट भट्टों में लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस गोरखधंधे की जानकारी स्थानीय लोगों ने वन विभाग को दी, जिसके बाद विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर छापेमारी की।जांच के दौरान टीम ने बड़ी संख्या में कटे हुए पेड़ और ईंट पकाने के लिए तैयार की गई लकड़ी बरामद की। वन विभाग ने इस अवैध कटाई को लेकर कार्रवाई करते हुए संबंधित लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

दरअसल बलरामपुर जिले में अवैध ईट भट्टों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है।जिला प्रशासन और खनिज विभाग के नाक के नीचे से अवैध ईंट भट्टों का संचालन बगैर दस्तावेज और लाइसेंस के किया जा रहा है। जिससे शासन को प्रतिवर्ष लाखों का राजस्व का नुकसान हो रहा है। पर्यावरण विभाग के अनुमति के बिना ईट भट्टे संचालित हो रहे है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है इस ओर विभाग की नजर नहीं पड़ रही है नजर पड़ भी रही है तो अनदेखी कर दिया जाता है। विभागीय कार्यवाही नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद है।

गौरतलब है कि जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में सैकड़ों ईंट भट्टे संचालित है जिनमें कुछ ही ईंट भट्टे है जिनके संचालकों के पास विभागीय अनुमति और वैध दस्तावेज हैं। फिर भी अवैध ईंट भट्टों का कारोबार जोरों पर है। ईंट भट्टा संचालक शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। शासन के निर्देशानुसार ईंट भट्टा लगाने के लिए शासन की अनुमति आवश्यक है लेकिन बगैर अनुमति बेधड़क नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लाल ईंटों की मांग लगातार बढ़ने से प्रतिवर्ष ईंट भट्टा संचालकों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे ईंट भट्ठों को बंद कराने में खनिज व राजस्व विभाग के अधिकारी अक्षम साबित हो रहे हैं। कार्यवाही के नाम पर अधिकारी छोटी कार्यवाही कर खाना पूर्ति कर देते है मगर बड़े पैमाने पर ईंटों का कारोबार करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

शासन के गाइडलाइंस की उड़ाई जा रही धज्जियां, संचालक नियमों को रखते हैं हाशिए पर

ईंट भट्टे के संचालन के लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण विभाग के द्वारा एन.ओ.  सी. की आवश्यकता होती है। बगैर एन.ओ.सी. ईंट भट्टों का संचालन कर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुसार ईंट भट्ठे में हवा का बहाव बेहतर बनाने के लिए जिगजैग तकनीक और वर्टिकल सॉफ्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है।ईंट भट्टे में ईंट बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी को निकालने के लिए संबंधित राज्य या संघ के खनन विभाग सहित संबंधित प्राधिकरणों से सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किया जाना है। ईंट भट्टे केवल अनुमोदित ईंधन जैसे पाइप्ड पप्राकृतिक गैस  कोयला, ईंधन लकडी या किसी अपशिष्टों का उपयोग किया जाना है।

अवैध कोयला और जंगल के पेड़ों की कटाई कर लकड़ी का करते है उपयोग

ईंट भट्ठों में ईंटों को पकाने के लिए उचित ग्रेड का कोयला इस्तेमाल करना होता है।बलरामपुर जिले में बड़े पैमाने पर राजस्व व वन भूमि पर अवैध तरीके से हर साल करोड़ो रुपए का कोयले का अवैध खनन किया जाता है और उसे आसपास के ईंट भट्ठों में खपाया जाता है। राजपुर,सेवारी, दुप्पी, चौरा, रेवतपुर, धंधापुर, खोखनिया सहित जिले के विभिन्न चिमनी ईट भट्टों में भी पहुँचाया जाता है। जंगल के पेड़ों की कटाई कर लकड़ियों का इस्तेमाल ईंट पकाने में किया जाता है।

संचालक कई तरीकों से रॉयल्टी में भी चोरी करते है सरकार को प्रति वर्ष लाखों की क्षति हो रही है।आखिर किसकी मेहरबानी और किसके संरक्षण में इतनी अनियमितताओं और नियमों को ताक पर रखने के बाद भी प्रशासनिक अमला इन पर प्रशासनिक लगाम लगाने में नाकाम रहती है।

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