
सूरजपुर: सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली द्वारा प्रकरण में पारित निर्णय के अनुक्रम में 18 वर्ष के बच्चों का त्रुटिपूर्ण निर्धारण करने उन्हें नियमित जेल में रखे जाने की संभावना होती है। न्यायालय के निर्देश एवं बालक अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली से प्राप्त निर्देश के अनुक्रम में जिले में स्थित जेल में निरुद्ध बंदियों में यदि कोई 18 वर्ष से कम आयु का है तो उम्र सत्यापन किये जाने हेतु अनुविभागीय अधिकारी (रा0) सूरजपुर की अध्यक्षता में गठित जेल निरीक्षण पैनल द्वारा तहसीलदार सूरजपुर एवं पैनल के सदस्यों द्वारा जिला जेल का निरीक्षण किया गया। जिला जेल सूरजपुर के जेल अधीक्षक अक्षय तिवारी द्वारा निरीक्षण पैनल को साथ में लेकर जेल के सभी बंदियों से मुलाकात करवाया गया। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल द्वारा जेल के बंदियों से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे जेल में है क्या इस संबंध में जेल में निरुद्ध बंदियों से जानकारी ली गयी। जेल के किसी भी बंदियों द्वारा अपनी आयु को लेकर कोई भी शंका व्यक्त नहंी कि गयी की उनकी आयु 18 वर्ष से कम है। जिससे कोई भी बंदी 18 वर्ष के कम आयु का नही पाया गया।
जेल में निरीक्षण के दौरान दो बंदियों द्वारा उनके घर पर उनके बच्चों का देखभाल करने वाले नहीं है ऐसी जानकारी पैनल के समक्ष आयी। पैनल द्वार उन दोनों बंदियों का नाम, पता लेकर संबंधित ग्राम में उन बच्चों के संबंध में जानकारी इकट्ठा की जावेगी। यदि बच्चों का देखभाल एवं संरक्षण करने वाले नहीं होगें तो उन बच्चों को बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत करने की कार्यवाही की जावेगीं।निरीक्षण के दौरान समीर शर्मा तहसीलदार सूरजपुर, प्रियांक पटेल शिशु रोग विशेषज्ञ, मनोज चतुर्वेदी जिला लोक अभियोजन अधिकारी सूरजपुर, मनोज जायसवाल जिला बाल संरक्षण अधिकारी, संजय भारत अधिवक्ता सूरजपुर, राजेन्द्र गुप्ता सामाजिक कार्यकर्ता, अखिलेश कुमार सिंह संरक्षण अधिकारी (संस्थागत) उपस्थित रहें।



















