डेस्क: ChatGPT के Ghibli Style एनिमेशन के जरिए होने वाले स्कैम को लेकर कई राज्यों की पुलिस ने लोगों के लिए वॉर्निंग जारी की है। पिछले दिनों ट्रेंड में रहने वाले इस नए फीचर का सोशल मीडिया पर क्रेज था। इस फीचर के लॉन्च होते ही लोगों ने इसे हाथों-हाथ ले लिया। बढ़ते इमेज जेनरेशन रिक्वेस्ट की वजह से चैट जीपीटी का सर्वर क्रैश हो गया था। इसके बाद कंपनी के सीईओ ने लोगों से संयम बरतने का रिक्वेस्ट करना पड़ा।

हो रहा बड़ा स्कैम

गोवा, तामिलनाडु और चंडीगढ़ पुलिस ने Ghibli स्टाइल वाले एनिमेटेड इमेज बनाने वाले यूजर्स को साइबर स्कैम की चेतावनी दी है। इसकी लोकप्रियता देखते हुए स्कैमर्स लोगों को फर्जी लिंक भेजकर फ्रॉड कर सकते हैं। भारत में भी यूजर्स Ghibli Style इमेज जेनरेट करने के लिए अपनी निजी तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं। स्कैमर्स इस तरह के एनिमेटेड इमेज वाले कई फर्जी ऐप्स सर्कुलेट कर रहे हैं ताकि लोगों को अपनी जाल में फंसाया जा सके।


गोवा पुलिस ने अपने X हैंडल से भी लोगों को इस ट्रेंड को फॉलो करने के दौरान सावधानी बरतने के लिए कहा है। अपने पोस्ट में पुलिस ने कहा कि यह AI ट्रेंड मजेदार है, लेकिन सभी AI ऐप आपकी प्राइवेसी को सुरक्षित नहीं रख पाते हैं। ऐसे में किसी भी AI टूल में अपनी तस्वीर अपलोड करने से पहले उसकी विश्वसनियता का जरूर ध्यान रखें।

तामिलनाडु पुलिस ने लोगों को इस ट्रेंड के जरिए होने वाले फिशिंग कैंपेन, कॉन्टेस्ट और गिव अवे वाले ऑफर्स से दूर रहने के लिए कहा है। इस तरह के कैंपेन में फर्जी लिंक्स हो सकते हैं, जो आपके फोन या लैपटॉप का डेटा एक्सेस कर सकते हैं।

वहीं, चंडीगढ़ पुलिस ने इस ट्रेंड की आड़ में लोगों को फर्जी ऑनलाइन स्टोर पर Ghibli डिजाइन वाले मर्चेंडाइज को लेकर आगाह किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर Ghibli स्टाइल वाले इमेज कपड़ों पर प्रिंट करने वाले कई फर्जी वेबसाइट के लिंक शेयर किए जा रहे हैं। लोगों से घिबली स्टाइल प्रिंट वाले कपड़ों के नाम पर निजी जानकारियां ली जा रही हैं और फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है।

इस ट्रेंड की आड़ में होने वाले फ्रॉड को लेकर कई साइबर एक्सपर्ट्स ने भी लोगों को आगाह किया है। साइबरपीस के संस्थापक और ग्लोबल अध्यक्ष मेजर विनीत कुमार ने कहा,” घिब्ली-स्टाइल में एआई से तस्वीरें बनाने का चलन बढ़ रहा है। यह कला की सत्यनिष्ठा, बौद्धिक संपदा और डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा करता है। जहां एक ओर एआई रचनात्मकता को लोकतांत्रिक बना रहा है, साथ ही यह मानवीय मौलिकता और श्रम को भी चुनौती देता है। अब मुद्दा सिर्फ यह नहीं है कि एआई कलाकारों की जगह ले रहा है, बल्कि इसका दुरुपयोग, अनधिकृत तरीके से प्रतिकृति बनाना, डीपफेक और कॉपीराइट का उल्लंघन भी मुद्दा है।”

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