राजनांदगांव: जिले में तीन बाल विवाह होने की सूचना मिलते ही छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम के द्वारा तत्काल बाल विवाह रोके जाने हेतु निर्देशित किया गया। जिसके परिपालन में महिला एवं बाल विकास विभाग राजनांदगांव की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणुु प्रकाश के द्वारा मैदानी अमले को दल के साथ मौके पर त्वरित रवाना किया गया। मौके पर परियोजना अधिकारी सह बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी डोंगरगांव वीरेन्द्र सिंह साहू एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी चन्द्रकिशोर लाड़े, संरक्षण अधिकारी गैर संस्थागत देखरेख विनोद जंघेल, सेक्टर पर्यवेक्षक वासड़ी आईसीडीएस मोहला सुरैैया कुरैशी व पुलिस प्रशासन तथा स्थानीय सरपंच, पटेल व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर देर रात बाल विवाह रोका गया। बाल विवाह कराने वाले परिवार को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों से अवगत कराते हुए बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि बालक-बालिकाओं की उम्र विवाह योग्य होने के उपरांत ही विवाह करेंगे। तीनों बाल विवाह रोकथाम में परियोजना अधिकारी सह बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी वीरेन्द्र सिंह साहू डोंगरगांव, सुनील साहू छुरिया एवं योगेश भगत छुरिया का विशेष योगदान रहा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के सर्व परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि अपने क्षेत्र में होने वाले बाल विवाह की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन का सहयोग प्राप्त करते हुए बाल विवाह को रोका जावे तथा अविलम्ब जिला कार्यालय को सूचना दिया जाए, ताकि जिला स्तर से दल को बाल विवाह रोकथाम हेतु अविलम्ब मौके पर भेजा जा सके। बाल विवाह होने की सूचना मोबाईल नम्बर 8319964100, 7987100143 एवं चाईल्ड लाईन के टोल फ्री नम्बर 1098 पर सूचना देकर बाल विवाह रोकथाम में अपनी भागीदार देने हेतु जिले के समस्त निवासियों से अपील की जाती है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रमुख प्रावधान –
इस अधिनियम के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के लड़कियों तथा 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों का विवाह बाल विवाह माना गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह किया जाना दंडनीय अपराध माना गया है। एक वयस्क पुरूष का विवाह किसी 18 वर्ष से कम उम्र आयु की लड़की के साथ बाल विवाह संपन्न होने पर बाल विवाह करने वाले वयस्क पुरूष तथा बाल विवाह संपन्न कराने वालों को 2 वर्ष का कठोर करावास या 1 लाख का जुर्माना या दोनों सजा से दंडित किया जा सकता है। इस अधिनियम के अंतर्गत अवयस्क बालकों के विवाह को अमान्य करने का भी प्रावधान है।