रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार वनांचलों में रोजगार के साधन मुहैया कराने के लिए अनेक पहल कर रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार की ओर से ट्रायफेड और छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के सहयोग से 61 प्रकार के लघु वनोपज का समर्थन मूल्य निर्धारित कर वन धन योजना से संग्रहण एवं लघु वनोपज का प्रसंस्करण किया जा रहा है। शासन की योजना से रोजगार के नए द्वार खुले हैं और इसका सीधा लाभ वनांचल में रहने वाले लोग एवं स्व-सहायता समूहों को मिल रहा है। एक बानगी के तौर पर रायगढ़ जिले का वन धन विकास केन्द्र कड़ेना है, जहां सवई घास से विभिन्न उत्पाद बनाकर स्व-सहायता समूह की महिलाएँ आर्थिक संबलता की राह में आगे बढ़ रही हैं।
गौरतलब है कि राज्य में संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर वनांचल के लोगों की आर्थिक समृद्धि के लिए लघु वनोपजों की संख्या को 7 से बढ़ाकर 61 कर दिया गया है। वहीं वनांचल में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए वन धन विकास केन्द्रों का गठन कर स्व-सहायता समूहों को बाजार तक पहुंचने मंच दिया जा रहा है। इसी तरह का एक मंच वन परिक्षेत्र बाकारूमा अंतर्गत वन-धन विकास केन्द्र कड़ेना बनकर उभरा है, जहां 12 विभिन्न महिला स्व-सहायता समूह द्वारा सवई घास से टोकरी एवं कोस्टर जैसे उत्पाद बनाकर विक्रय किया जा रहा है। इस कार्य से महिलाओं को जहां रोजगार मिला, तो वहीं परिवार के लिए आर्थिक समृद्धि के साधन बने। जानकारी के मुताबिक महिलाओं द्वारा अब तक 32 क्विंटल से अधिक सवई घास का प्रसंस्करण किया जा चुका है, जिसका बाजार मूल्य 8 लाख से अधिक है।
मिला प्रोत्साहन तो बढ़ा उत्साह –
वन धन विकास केन्द्र कड़ेना से जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा सवई घास से निर्मित टोकरी को शासन स्तर पर मंत्रीमंडल को उपहार स्वरूप भेजा गया। वहीं भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय द्वारा सरस्वती स्व-सहायता समूह कड़ेना को पुरस्कृत भी किया गया। शासन स्तर पर मिले इस प्रोत्साहन से वन धन विकास केन्द्र कड़ेना से संलग्न स्व-सहायता समूह की महिलाएं उत्साहित हैं और दोगुनी ऊर्जा से कार्य कर रही हैं। परिणामस्वरूप स्व-सहायता समूह की महिलाओं और उनके परिवार के जीवन स्तर में आर्थिक सुधार आया है।