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जबलपुर, जेएनएन एजेंसी। जालसाजी के मामले में दोषी अमित खम्पारिया की नई हरकत सुनकर अफसर हैरान रह गए। इस बार खम्पारिया ने न सिर्फ पुलिस बल्कि कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने का काम किया। धोखाधड़ी के मामले में मंडला जिला अदालत ने खम्पारिया के पिता अनिरुद्ध सिंह चतुर्वेदी और अन्य आरोपियों को सजा सुनाई थी। अपने पिता समेत तीन अपराधियों के स्थान पर खम्पारिया ने तीन निर्दोष लोगों को पेश कर जेल भेज दिया। 84 दिनों के बाद तीनों निर्दोषों को जमानत पर रिहा कर दिया गया। जिसके बाद धोखाधड़ी का पता चला। जेल से बाहर आई एक पीड़ित ने बुधवार को पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा को घटना की जानकारी दी। उन्होंने खम्पारिया सहित उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिनके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा। पुलिस अधीक्षक ने शिकायत की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।अमनपुर मदनमहल निवासी कोमल पांडेय ने बताया कि कान्हा के वन विभाग के टोल नाके का ठेका अमित खम्पारिया ने लिया था। जिसमें खम्पारिया के कुछ रिश्तेदार और साथी भागीदार थे। टोल नाका पर पर्यटकों से निर्धारित दर से अधिक टोल टैक्स वसूला जा रहा था। राशि जमा करने के बाद पर्ची पर मार्कर से सही शुल्क लिखा हुआ था। शिकायत की जांच के बाद 8 सितंबर 2011 को मंडला के खटिया थाने में खम्पारिया समेत सभी आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। अमित खम्पारिया, उनके पिता अनिरुद्ध सिंह चतुर्वेदी, चाची रामजी द्विवेदी, रिश्तेदार दशरथ प्रसाद तिवारी, रज्जन, उमेश पांडे, अमित पांडे, श्रीकांत शुक्ला, शनि ठाकुर, अजय बाल्मीकि को आरोपी बनाया गया था। साल 2022 में कोर्ट ने इस मामले में कुल 10 आरोपियों को 5-5 साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी।
बताया जाता है कि 22 सितंबर 2021 को तीसरे अपर सत्र न्यायाधीश मंडला डीआर अहिरवार कोर्ट में मौजूद थे। जहां अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी 70 वर्ष निवासी टिकुरी उमरिया, रामजी द्विवेदी 66 वर्ष निवासी सोनवारी मैहर सतना और दशरथ प्रसाद तिवारी 60 वर्षीय निवासी टिकुरी उमरिया ही उपस्थित थे। एक आरोपी उमेश पांडे की मौत हो गई है जबकि अन्य फरार हो गए थे।
इस तरह की जालसाजी
शिकायतकर्ता ने कहा कि सिहोरा बरेली व हलमुक्कम मदनमहल अंडरब्रिज निवासी 47 वर्षीय अमित खम्पारिया ने पिता अनिरुद्ध के स्थान पर कोमल प्रसाद पांडेय, रामजी द्विवेदी के स्थान पर श्याम सुंदर खम्पारिया और ग्वारीघाट निवासी विराट तिवारी को दशरथ प्रसाद तिवारी की पहचान बदलकर कोर्ट में पेश किया। शिकायतकर्ता ने कहा कि विराट तिवारी खम्पारिया के स्टैंड कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े थे।