अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष सरजियस मिंज की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां जिला पंचायत सभाकक्ष में सरगुज़ा संभाग के पंचायत राज प्रतिनिधियां एवं अधिकारियों की संवाद सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। पंचायत राज की आर्थिक सुदृढीकरण, आत्मनिर्भर व स्वतंत्र पंचायत के लिए पंचायत प्रतिनिधियों ने आयोग को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इन सुझावों का परीक्षण तथा अध्ययन कर आयोग शासन के पास अपनी अनुशंसा भेजेगी।
आयोग के अध्यक्ष श्री मिंज ने कहा कि पंचायत राज को सशक्त करने के लिए ही संविधान संशोधन कर पंचायत राज अधिनियम लागू किया गया है। पंचायत राज की मंशा है कि जनता की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान व जरूरत स्थानीय स्तर पर ही पूरी हो जाये। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करें। प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करें, कहीं कोई गेप न आने दें। चर्चा में जो भी सुझाव आएंगे उन सबका रिकार्ड रखा जाएगा और पूरे प्रदेश भर से आये सुझावों के परीक्षण व अध्ययन के पश्चात शासन को अनुशंसा भेजी जाएगी।
कमिश्नर जीआर चुरेन्द्र ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि एवं अधिकारी कार्यशाला को गंभीरता से लेते हुए तकनीकी पहलुओं को भी समझें ताकि आने वाले समय में अपने क्षेत्र में बेहतर काम कर सकें। कलेक्टर संजीव कुमार झा ने कहा कि राज्य वित्त आयोग एक नीति निर्देशक इकाई है। सकारात्मक रूप से चर्चा कर अपनी बातें आयोग के समक्ष रख सकते है। कुछ तकनीकी बिन्दुओं के बारे में बताई जाएगी जो नीति निर्धारण में सहायक होंगी। इसके बाद आयोग के सचिव सतीश पांडेय ने राज्य वित्त आयोग के कार्य व अधिकार के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।
टैक्स और रायल्टी की राशि पंचायतों को मिले- पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायत की आर्थिक स्थिति की बेहतरी के लिए ग्राम पंचायतों द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स और रायल्टी की पूरी राशि को सीधे राज्य सरकार के पास न भेज कर पंचायत के लिए निर्धारित राशि को पंचायत में रखने के बाद शेष राशि को भेजने, पन्द्रहवे वित्त की राशि का अभिसरण नरेगा में नहीं करने तथा पंचायत में काम स्वीकृति के पश्चात 40 प्रतिशत राशि का भुगतान करने के सुझाव दिए। इसके साथ ही जनपद सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों ने अपने क्षेत्र में कार्य कराने हेतु राशि निर्धारित करने, दौरा भत्ता निर्धारित करने के सुझाव दिए।
डीएमएफ व वनोपज की राशि का आनुपातिक हिस्सेदारी मिले- जिला पंचायत सरगुज़ा के उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने कहा कि डीएमएफ और वनोपज की एक आनुपातिक राशि पंचायतां को मिले। डीएमएफ की राशि खनन प्रभावित क्षेत्र के लिए पंचायत प्रतिनिधि की अनुशंसा हो। उन्होंने राशि निर्धारण के पैमाने में गांव के पिछड़ेपन को भी शामिल करने के सुझाव दिए ताकि गांव की स्थिति का निर्धारण हो सके। इसके साथ ही उन्होंने पंचायत में निर्माण कार्यों की लेट-लतीफी में सुधार के लिए आरईएस के अलावा अलग से निर्माण एजेंसी रखने के भी सुझाव दिए। सूरजपुर जिले के जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश राजवाड़े ने स्व सहायता समूहों के माध्यम से पंचायतों से टैक्स वसूली का कार्य कराने, बड़े गांव में अतिक्रमण कर दुकान य अन्य व्यापारिक संस्थान संचालित करने वालो से टैक्स वसूलने, पंचायत के तीनों स्तर में अन्य आकस्मिक मद हो जिससे जरूरत के अनुसार उपयोग किया जा सके।
ग्राम पंचायत सचिवों के द्वारा सुझाव दिया गया कि पंचायतों में ऑनलाइन एंट्री कार्य सहित अन्य तकनीकी कार्य के लिए सभी पंचायतों में कम्प्यूटर ऑपरेटरों की पदस्थापना की जाए।
इस अवसर पर सरगुजा संभाग के सभी जिलों के पंचायत प्रतिनिधि, जिला पंचायत सीईओ, जनपद सीईओ एवं सचिव उपस्थित थे।