रायपुर: आधुनिक जीवन-शैली और अनुचित खान-पान के कारण एक बड़ी आबादी इन दिनों अनेक स्वास्थ्यगत मुसीबतों का सामना कर रही है। बुजुर्गों के साथ ही किशोर व युवा वर्ग मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अनिद्रा, मानसिक तनाव तथा अवसाद जैसे मानसिक रोगों का शिकार है। चिकित्सा अनुसंधानों से यह पता चला है कि जीवन-शैली से जुड़े रोगों और मनोरोगों के उपचार एवं नियंत्रण में योग की बहुत ही कारगर भूमिका है। देश और दुनिया के बड़े मेडिकल संस्थान और चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा मरीजों को दवाईयों के साथ-साथ नियमित योगाभ्यास का परामर्श दिया जा रहा है।
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आरोग्य यानि वेलनेस में योग की महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनजर साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा हर साल 21 जून को पूरी दुनिया में “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” मनाने का फैसला लिया गया। आयुष मंत्रालय द्वारा आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए “योगा फॉर ह्यूमिनिटी” यानि “मानवता के लिए योग” थीम निर्धारित किया गया है। आज समाज में नैतिक मूल्यों के ह्रास के कारण लोगों में मानवता जैसे नैसर्गिक गुण का लगातार क्षरण हो रहा है। फलस्वरूप अपराध, असहिष्णुता और क्रोध, ईर्ष्या, लोभ जैसी अनेक मानसिक विसंगतियां भी पैदा हो रही हैं। इन विसंगतियों को दूर कर स्वस्थ समाज की स्थापना में योग कारगर है।
डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव और संक्रमण के उपचार के बाद जल्द नियमित दिनचर्या में लौटने में योग की प्रभावी भूमिका रही है। कोरोना संक्रमितों के फेफड़ों को स्वस्थ रखने एवं क्रियाशील बनाने में प्राणायाम और अन्य योगाभ्यासों की उपयोगिता के मद्देनजर भारत सहित दुनिया के अन्य देशों ने इसे अपनाया है। दरअसल दैनिक योग और ध्यान जहां अनेक शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार और नियंत्रण में सहायक है, वहीं यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत रखता है। नियमित योगाभ्यास से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, फेफड़ों के रोग, कोलेस्ट्रॉल, कैंसर, पाचन-तंत्र से संबंधित बीमारी, मोटापा, नेत्र रोग, हड्डी एवं जोड़ों के रोग, मानसिक तनाव, थकान, अनिद्रा, अवसाद, हार्मोन्स से संबंधित थायराइड, मासिक धर्म संबंधी जैसे अनेक रोगों का बचाव, उपचार और नियंत्रण संभव है।
लोगों में योग के संबंध में व्याप्त कतिपय भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ लोग योगाभ्यास अपनाने के बाद चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाओं का सेवन बंद कर देते हैं जो जानलेवा भी साबित होता है। हमें यह समझना होगा कि योग जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म नहीं करता, बल्कि नियंत्रित करता है। इसलिए लोगों को चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा बताए गए औषधियों और परहेज के साथ ही नियमित योगाभ्यास अपनाना चाहिए। योगाभ्यास के पूर्व उच्च रक्तचाप, हृदय रोगियों तथा गर्भवती महिलाओं को योग चिकित्सक की परामर्श जरूर लेना चाहिए क्योंकि कुछ योग क्रियाएं इन रोगियों के लिए वर्जित होता है।