अम्बिकापुर: जिला एवं विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीशआर.बी. घोरे के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अमित जिंदल ने शनिवार को अम्बिकापुर स्थित बाल संप्रेक्षण गृह, बालिका संप्रेक्षण गृह, नारी निकेतन, विशेष गृह आदि का निरीक्षण किया। इसके साथ ही विधिक जागरूकता शिविर आयोजित कर महिलाओं और बच्चों को विधिक जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि कि निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 3 में प्रत्येक बालक को प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने तक अपने पड़ोस के विद्यालय में निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। उक्त अधिनियम की 13 के अनुसार किसी बालक को कैपिटेशन फीस देने की बाध्यता नहीं है तथा बालक के अभिभावक को किसी स्क्रीनिगं प्रक्रिया से गुजरना नहीं होगा, धारा 16 के अनुसार किसी बालक को प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने तक निष्काषित नहीं किया जायेगा तथा धारा 17 के अनुसार किसी बालक के साथ मारपीट नहीं की जायेगी।

श्री जिन्दल ने मूल कर्तव्यों के बारे में बताते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करें तथा उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज तथा राष्ट्रागान का आदर करे। प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना और हिंसा से दूर रहना भी नागरिकों के मूल कर्तव्य है। श्री अमित जिन्दल ने आगे बताया कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण नियम 2016) के नियम 06 के उपनियम 06 के अनुसार बोर्ड के सदस्यों के आसन उंचे मंच पर नहीं होंगे और बोर्ड तथा बालक के मध्य साक्षियों के कटघरे या अवरोध जैसी बाधाएं नहीं होंगी। नियम 8 के उपनियम 4 के अनुसार बाल कल्याण पुलिस अधिकारी सादे कपड़े में होगा। नियम 9 के उपनियम 5 के अनुसार यदि बोर्ड की बैठक न हो तो विधि का उल्लंघन करने के लिए अभिकथित बालक को अधिनियम के नियम 7 की उपधारा (2) के अनुसार बोर्ड के एक सदस्य के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तथा नियम 33 में प्राविधान है कि बालक को नाश्ते सहित दिन में 4 बार भोजन दिया जायेगा।

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