अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ शासन के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री अमरजीत भगत ने जिले में कुछ उर्वरक की कमी के कारण किसानों की समस्या को देखते हुए उर्वरक आपूर्ति के संबंध में रविवार को अम्बिकापुर के उच्च विश्राम गृह में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने कृषि, विपणन और जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों को कड़ी निर्देश देते हुए कहा कि वर्तमान में जो भी उर्वरक लॉट में उपलब्ध है उसकी सुचारू वितरण सभी समितियों में कराते हुए किसानों को उपलब्ध कराएं। ऐसा न हो कि उर्वरक की भंडारण होने के बाद भी समितियां में कमी की नौबत आए। उन्होंने कहा कि समितियों में उर्वरक की डिमांड को न रोके जहा जितनी डिमांड है उपलब्धता के अनुसार उसे पूरा करें। सोमवार को समितियों का निरीक्षण किया जाएगा जिसमे संबंधित अधिकारी को उपस्थित रहना होगा।
मंत्री श्री भगत ने कहा कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में केंद्र से कम मात्रा में उर्वरक की आपूर्ति हुई है इस कारण कुछ उर्वरक की कमी है। डीएपी की आपूर्ति इस वर्ष बिल्कुल भी नहीं हुई है। उर्वरक आपूर्ति का जिम्मा केंद्र सरकार का है। हमारी मांग अनुसार पूर्ति नहीं की जा रही है। केंद्र सरकार के नियमों से हमारा हाथ बंधा है। जब तक केंद्र से आपूर्ति नहीं होगी तब तक खाद आपूर्ति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उर्वरक की कमी को दूर करने के लिए राज्य स्तर से मार्कफेड के अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है। वे केंद्र सरकार के अधिकारियों से लगातार समन्वय कर रहे है और कुछ दिनों में डीएपी की लॉट आने की बात कह रहे है। सरकार किसानों को उर्वरक की उपलब्धता के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस वर्ष प्रदेश में अब तक उर्वरक की करीब 32 प्रतिशत कम आपूर्ति हुई है। मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने की कोशिश की जा रही है।
कालाबाजारी पर होगी कार्यवही- मंत्री श्री भगत ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि किसी भी दुकान में उर्वरक की जमामखोरी व कालाबाजरी बर्दाश्त नहीं होगी। इस पर कड़ी कार्यवाही करें। हर दुकान में उर्वरक की दर सूची और भंडारण की स्थिति की जानकारी बोर्ड में प्रदर्शित हो। पोस मशीन से ही बिक्री हो। किसानों को अधिक दर पर खाद लेना न पड़े।
कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया कि डीएपी उर्वरक की सप्लाई इस वर्ष नही होने से समितियों में कमी है। लेकिन डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान एसएसपी का उपयोग कर सकते है। दो बोरी एसएसपी एक बोरी डीएपी के बराबर काम करता है। इसका मूल्य डीएपी से बहुत कम है। एसएसपी समितियों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी के उपयोग की जानकारी किसानों को दें। उन्होंने कहा कि डीएपी उर्वरक की समस्या देशव्यापी है। जिन उर्वरकां का भंडारण हुआ है उसकी आपूर्ति मांग के अनुसार सभी समितियों में की जा रही है।
बताया गया कि इस खरीफ वर्ष में जिले में सहकारी व निजी दुकानों के लिए कुल उर्वरक भंडारण का लक्ष्य 35 हजार 500 मेट्रिक टन था जिसके विरुद्ध अब तक 16055 मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति हुई है। गत वर्ष का शेष करीब 3 हजार मीट्रिक टन डीएपी उर्वरक को किसानों के द्वारा इस ग्रीष्म ऋतु में उठाव किया गया है। वर्तमान में यूरिया, एमओपी व एसएसपी के करीब 2181 मीट्रिक टन उर्वरक का भंडारण विपणन संघ के पास उपलब्ध है।
बैठक में पार्षद दीपक मिश्रा, एसडीएम प्रदीप साहू, इरफान सिद्दीकी, लक्ष्मी गुप्ता, श्यामलाल जायसवाल सहित, कृषि, विपणन, खाद्य व जिला सहकारी बैंक के अधिकारी उपस्थित थे।