कोरबा: केजीएफ 2 की तर्ज पर कोयला खदान से कोयला तस्करी बंद होने के बाद एक बार फिर तस्कर कोल माइंस से कोयला निकालने सक्रिय ही गए है। पाली ब्लाक के बुड़बुड खदान से हो रही चोरी पर आम जनता कहने लगे है क्या पाली पुलिस की मौन सहमति है सरकार?
एसईसीएल कोरबा पूर्व की बुड़बुड़ खदान से कोयले के अवैध कारोबार पर अंकुश नही लग पा रहा है। सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई होती है। लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से ढाक के तीन पात वाली स्थिति निर्मित हो जाती है। वास्तविकता यह है कि खदान से कोयले की अफरातफरी का खेल दिनों- दिन बढ़ता जा रहा है, जिसमे कोल अधिकारी- कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के मिलीभगत की बाते सामने आ रही है।
एसईसीएल की सरायपाली परियोजना अंतर्गत बुड़बुड़ में ओपन कास्ट कोयला खदान का संचालन विगत वर्ष 2019- 20 से हो रहा है, जहां सक्रिय कोल माफिया कोयले की चोरी व तस्करी का गोरखधंधा करते आ रहे है। बीच- बीच मे कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति जरूर होती रही है, लेकिन असल रूप से वर्तमान में प्रतिदिन 2 से 3 ट्रक कोयला इस खदान से पार हो रहा है। जिसमे सक्रिय लोग खासी कमाई करते आ रहे है तो वहीं इस खेल के एवज में खदान के अधिकारी- कर्मचारी व आसपास जानकार जनप्रतिनिधियों के मुट्ठी गर्म करने का रिवाज भी निभा रहे है, लिहाजा खदान के मुहाने पर यह गोरखधंधा परस्पर रूप से चल रहा है। कोयला चोरी के कार्य के लिए खदान के आसपास में रहने वाले गरीब तबके के युवा वर्ग का उपयोग किया जा रहा है, जिन्हें रात में खदान के भीतर भेजा जाता है। जो बड़ी आसानी से कोयला डंपिंग यार्ड तक पहुँच बोरी, झउहा में कोयला भरकर खदान के मुहाने (मिट्टी ओबी) के किनारे पर ले जाकर संग्रहित करते है। जिसे बाद में कोयला तस्कर की ट्रेक्टर व ट्रकों में लोड कर दिया जाता है। सूत्रों की माने तो खदान प्रभावित ग्राम बुड़बुड़, तालापार, मुनगाडीह इलाके के दर्जनों लोगो को कोयला चोरी व लोडिंग के काम मे लगाया गया है।
एक ट्रक में 18 से 20 टन कोयला लोड किया जाता है, बाजार में जिस कोयले को 4000 रुपए प्रति टन के हिसाब से खपाया जाता है। इस तरह कुल 75- 80 हजार रुपए प्रति ट्रक से मुनाफा होता है। प्रतिदिन 3 से 4 ट्रक कोयला बुड़बुड़ खदान से निकाला जा रहा है। यानी प्रतिदिन ढाई लाख रुपए से अधिक के कोयले की चोरी कर ली जा रही है। जिसे छोटे उद्योगों, ईंट भट्ठों व कोल डिपो में सप्लाई की जा रही है। हाथ से छांटा हुआ अच्छे स्तर व नियम विरुद्ध कोयला खरीदने से व्यापारी भी गुरेज नही कर रहे है। सुरक्षा के तमाम उपायों व त्रिपुरा रायफल सुरक्षा बल की तैनाती के बाद भी व्यापक तौर पर चल रही कोयले की चोरी व तस्करी के इस खेल से साफ तौर पर मिलीभगत का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिसमे कोल अधिकारी- कर्मचारी व आसपास जनप्रतिनिधियों की संलिप्ता बताई जा रही है। दूसरी ओर पुलिस द्वारा कोयले के अवैध मामले को लेकर खानापूर्ति स्वरूप सुनियोजित तरीके से की जाने वाली कार्रवाई भी कोयला के गोरखधंधे को बढ़ावा देने का एक कारण है। क्योंकि पुलिस कोयला चोरी- तस्करी में लिप्त वाहन व उसके चालक के खिलाफ कार्रवाई करती है, जबकि परदे के पीछे से तस्करी करने वाले प्रमुख आरोपी को बख्श दिया जाता है। लिहाजा मिलीभगत व सेटिंग में बुड़बुड़ खदान से रोजाना लाखों का कोयला आर- पार होने के साथ कारोबार खूब तेजी के साथ फल- फूक रहा है।