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आशीष कुमार गुप्ता
अंबिकापुर/सेदम:शासकीय महाविद्यालय बतौली में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन हुआ। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर आयोजित कार्यशाला में सरगुजिहा साहित्य के प्रसिद्ध कहानीकार सुदामा राम गुप्ता ने मुख्य वक्ता के तौर पर विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि- छत्तीसगढ़ी के विकास के लिए मानकीकरण बहुत जरूरी है।छत्तीसगढ़ी भाषा के स्वरूप एवं बोले जाने वाले क्षेत्रों पर चर्चा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी बोली एवं उप बोलियों में मानकीकरण के आधार पर एकरूपता एवं सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के साथ एम. ए. हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रम में शामिल अपनी सरगुजिहा कहानी “जीवपरी” का उन्होंने सस्वर पाठ किया।
महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर साक्षर भारत बतौली के परियोजना अधिकारी उमेश गुप्ता के साथ महाविद्यालय के प्राचार्य बी.आर भगत, प्रो. तारा सिंह, प्रो. बलराम चंद्राकर, प्रो. मधुलिका तिग्गा, प्रो सुभागी भगत एवं प्रो. जीवियन खेस उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रो. गोवर्धन प्रसाद ने किया। छत्तीसगढ़ी भाषा में संचालन करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ छत्तीसगढ़ी खान-पान, खेल कूद, वेशभूषा एवं संस्कृतियों को संरक्षित करने की आवश्यकता है ताकि अन्य संस्कृतियों की तरह इसकी एक अलग पहचान कायम रहे।
राजभाषा दिवस पर आयोजित कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपने विचार व्यक्त किए। छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा एवं कुड़ुख में अपने विचार व्यक्त किए। संध्या एवं सावित्री ने छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत “अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार” का प्रस्तुतीकरण किया। इस कार्यक्रम में हिंदी साहित्य के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों सहित महाविद्यालय के समस्त छात्र-छात्राओं ने सहभागिता किया।