बलरामपुर: उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के बहुआयामी सहयोग से विगत दिवस शासकीय महाविद्यालय बलरामपुर में भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण करने एवं आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई.क्यू.ए.सी.) एवं शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बलरामपुर के संयुक्त तत्वाधान में भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर सदानंद साही, कुलपति शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई ने अपने वक्तव्य में रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘संस्कृति के चार अध्याय’ की चर्चा करते हुए भारतीय स्वाधीनता संग्राम को भी चार प्रमुख अध्याय में बांटकर विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। इसी क्रम में प्रोफेसर साही ने अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संग्राम की घटनाएं एवं विचारधाराओं को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थी एवं शोधार्थियों के जिज्ञासा को तृप्त करके संशय को दूर किया।
संगोष्ठी का विषय “भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अध्याय एवं आदर्श“ जिसमें देश के कोने-कोने से इतिहास, साहित्य, पत्रकारिता एवं भारतीय स्वाधीनता संग्राम के मूर्धन्य विद्वानों ने अपने अमूल्य विचार रखे एवं जमकर वाद-विवाद-संवाद भी किए, साथ ही कई महाविद्यालय व विश्वविद्यालय से आगत शोधार्थियों ने अपने गंभीर शोध पत्रों द्वारा संगोष्ठी को एक सार्थक संगोष्ठी का स्वरूप देने का प्रयास किया। किसी भी संगोष्ठी की जान होती है उसमें आमजन की सहभागिता और विषय पर वक्ताओं के साथ संवाद जो इस संगोष्ठी में देखी गई। विद्यार्थियों का बढ़-चढ़कर पूरी लगन और निष्ठा के साथ संगोष्ठी के मंचीय व्यवस्था, भोजन एवं जलपान व्यवस्था और साज-सज्जा व्यवस्था में जुड़े होने के साथ-साथ गंभीर प्रश्नों से विद्वान वक्ताओं तक अपनी जिज्ञाषाओं के समाधान के लिए तत्पर होना इस संगोष्ठी की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
उद्घाटन सत्र व समापन सत्र सहित कुल 4 अकादमिक सत्र एवं 4 सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समाप्त होने वाली यह संगोष्ठी कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। इस संगोष्ठी में एक ओर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के कार्यक्रम व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के विचारों पर बारीकी से मंथन किया गया, वहीं दूसरी ओर भविष्य के भारत निर्माण में भारतीय स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों से शिक्षा लेने पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया। सत्र के समापन काल में प्राचार्य एन. के. देवांगन द्वारा मुख्य अतिथि प्रोफेसर सदानंद साही को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।