रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब डॉक्टर भूपेश बघेल कहलाएंगे। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग से उन्हें पीएचडी की मानद उपाधि दी गई है। इनके साथ ही विश्वविद्यालय ने पंडवानी गायिका पद्मश्री उषा बारले को भी पीएचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। यह उपाधि विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरुणा पलटा और कुलसचिव डॉ. भूपेंद्र कुलदीप ने सौंपी है।हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग में सोमवार को पहला दीक्षांत समारोह और विश्वविद्यालय का आठवां स्थापना दिवस समारोह था। यह कार्यक्रम भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) के ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने की। वह समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे।
इस कार्यक्रम में 13 PHD शोधार्थियों को डिग्री और 135 छात्र छात्राओं को स्वर्ण पदक दिया गया। समारोह में पर्यावरण संरक्षण व समाज कल्याण की दिशा में बेहतर कार्य करने के लिए भूपेश बघेल और 47 वर्षों से कला की साधना करने वाली पद्मश्री उषा बारले को सम्मान में ये उपाधि दी गई।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय को नए ऑडिटोरियम की सौगात दी। 12 करोड़ की लागत से यह ऑडिटोरियम पोटिया कला में 40 एकड़ में बनेगा। इस मौके पर नरेंद्र देव वर्मा शोधपीठ के स्थापना की घोषणा भी की गई।
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा, शिक्षा सबसे ताकतवर हथियार है। शोधकर्ताओं व छात्र-छात्राओं ने कड़ी मेहनत करके यह उपाधि व स्वर्ण पदक हासिल किया है। सभी विद्यार्थी अपने जीवन के नये पड़ाव में प्रवेश कर रहे हैं। भविष्य में उनके सामने कई चुनौतियां आएगी लेकिन नये अवसर भी प्राप्त होंगे। उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए भूपेश बघेल ने स्वर्गीय हेमचंद यादव को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताया। कार्यक्रम में 13 पीएचडी की उपाधि और 135 स्वर्ण पदक दिए गए। सबसे खुशी की बात यह है कि इसमें 107 लड़कियां है। उन्होंने लड़कियों की मेहनत व दृढ़ संकल्प की ओर सबका ध्यान केंद्रित किया।
भूपेश बघेल ने कहा, यदि समाज में जागरूकता लानी है तो उसके लिए ज्ञान जरूरी है। और ज्ञान शिक्षा से प्राप्त होता है। उन्होंने अपने युवा अवस्था को याद करते हुए कहा कि जब-जब उन्होंने शिक्षा का चुनाव किया, उन्हें जीवन में बेहतर परिणाम मिले।