बलरामपुर: छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए ‘सुराजी ग्राम योजना‘ के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना क्रियान्वित किया जा रहा है। जिसके तहत गौठानों में ही आजीविका मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। ताकि गांव के लोगों को गौठानों में ही रोजगार के नये-नये साधन उपलब्ध कराये जाने सहित लोगों को अतिरिक्त आय का जरिया भी प्राप्त हो सके।
बलरामपुर- रामानुजगंज जिले के ग्राम पंचायत गोबरा, परसागुड़ी, गोपालपुर,शिवपुर जैसे कई गांव हैं जहां पशुपालक किसान गोबर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। पशुपालकों तथा किसानों को पशुपालन गतिविधि से जोड़कर मुनाफा कमाने में गोधन न्याय योजना का महत्वपूर्ण योगदान है।
राजपुर विकासखण्ड ग्राम पंचायत परसागुडी में गौठान ने महेश यादव पिता गुनु यादव की जीवन संवार दी। श्री महेश ने बताया कि उनके द्वारा कृषि आधारित मजदूरी कर जीवन यापन किया जाता था। जमीन होते हुए भी सिंचाई की असुविधा के कारण फसल लेने में मुश्किल होती थी। स्वयं कृषि करने के लिए बाजार से पैसा भी उधार लेना पड़ता था। तब जा कर खेती का कार्य कर पाता था जिससे उम्मीद के हिसाब से मुनाफा नहीं मिलता था। तभी शासन द्वारा गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई। उन्होंने बताया कि इस योजना से गोबर बेचकर उन्होंने लगभग 63 हजार रू की आय अर्जित की। इस आय के सहयोग से ही उन्होंने अपने खेत में बोर कराया है। श्री महेश ने बताया कि उनकी पत्नी भी महिला स्व सहायता समूह से जुडकर गौठान में ही वर्मी खाद तैयार करके अतिरिक्त आय अर्जित कर रही है। बर्मी खाद खेत की उर्वरता बढ़ाने में सहायक है। उन्होंने कहा कि गौठानों में आय कमाने की विभिन्न गतिविधियां चलाई जा रही हैं इससे ग्रामीण लोगों को मजदूरी के लिए भटकना नहीं पड़ता है। उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि अब मेरे को पैसा उधार लेने के आवश्यकता नहीं पड़ती है। शासन की विभिन्न योजनाओं के जरिए आय कमाने का अच्छा अवसर मिला है। इसके लिए श्री महेश ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को बहुत धन्यवाद देते हुए आभार प्रकट किया है।
गोबरा गांव के श्री गोविंद और श्री इंद्रकुमार बताते हैं कि उन्हें गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी हुई है। इस आमदनी का उपयोग न केवल उन्होंने बच्चों के पढ़ाई में किया साथ ही घर के अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में भी इस आय ने काफी सहयोग किया है। श्री गोविंद बतातें हैं कि उन्होंने गोबर बेचकर लगभग 16 हजार, तो श्री इंद्रकुमार ने लगभग 20 हजार की आय अर्जित की है।
ग्राम पंचायत के किसान बताते हैं कि वे पहले पारंपरिक खेती-किसानी ही किया करते थे। आय का कोई अतिरिक्त साधन नहीं था। लेकिन शासन की इस योजना से ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार का साधन मिलने सहित गौमाता की सेवा करने का सुअवसर मिल गया है। अब गाय पालन के जरिये हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। इस अतिरिक्त आय से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल रहा है। इसके लिए हितग्राहियों ने शासन-प्रशासन का हृदय से आभार प्रकट किया है।