रायपुर: छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस-भाजपा के बीच हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला है। दोनों दलों में इस बात की होड़ लगी है कि हिंदुत्व की राजनीति में कौन आगे निकलता है। एक ओर कांग्रेस सरकार की गोबर अर्थव्यवस्था और राम वनगमन परिपथ, राष्ट्रीय रामायण प्रतियोगिता, हनुमान चालीसा का पाठ के माध्यम से हिंदुत्व की राजनीति कर रही है। जून में छत्तीसगढ़ कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में गोधन न्याय योजना का बखान करेगी। कांग्रेस का पहला कार्यकर्ता सम्मेलन बस्तर में दो जून को शुरू हो रहा है।
वहीं, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी आदिवासी इलाकों में मतांतरितों की घर वापसी का अभियान तेज किया है। छत्तीसगढ़ में मिशनरियों की गुपचुप चल रही गतिविधियों और मतांतरण पर प्रभावी ढंग से रोक लगाने के लिए विश्व हिंदू परिषद(विहिप), धर्म जागरण मंच के अलावा स्वयंसेवकों की टीम संयुक्त रूप से काम पर जुटी हुई है।
विहिप के प्रदेश अध्यक्ष संतोष गोलछा ने कहा कि गांव-गांव तक समितियां बनाकर जन जागरण का काम कर रहे हैं। मतांतरितों की घर वापसी हो रही है। मतांतरण का विरोध भी हो रहा है। धर्म जागरण मंच के प्रदेश संयोजक पूणेंद्र सिन्हा ने कहा कि मतांतरण के खिलाफ हम लगातार काम कर रहे हैं।
वहीं, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष विकास मरकाम ने कहा कि असंवैधानिक मतांतरण का भाजपा विरोध करेगी। मतांतरण के लिए प्रशासन की अनुमति लेना है, मगर इन नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है। बस्तर में मतांतरण से संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है। यह चुनावी मुद्दा रहेगा।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा हिंदुत्व की राजनीति मतों की ध्रुवीकरण के लिए करती है। रामभक्ति का दिखावा करते हैं। भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक, एतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं को पुनर्जीवित किया। तीजा महोत्सव, आदिवासी नृत्य महोत्सव के साथ प्रदेश में माता कौशल्या का मायका और राम वनगमन पथ का निर्माण किया।
भगवान राम प्रदेश के कण-कण में बसे हैं। हमारी सरकार इस वैभव को पुनर्स्थापित कर रही है। 15 वर्ष में भाजपा की सरकार रही और उसने कोई काम नहीं किया। हमने गोसेवा के लिए गोबर-गोठान, रामायण की योजना से छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा पुनर्जीवित किया है। सरकार को बदनाम करने के लिए भाजपा मतांतरण की बात करती है। यह उनका दिमागी फितूर है।
वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा को 15 और कांग्रेस को 68 सीट मिली थी। प्रदेश की 90 विधानसभा में से 29 विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है और यहां एक लाख से अधिक मतदाता हैं। 20 सीटों पर 50 हजार से एक लाख आदिवासी मतदाता है। वहीं अनुसूचित जाति के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 32 आदिवासियों को प्रत्याशी बनाया था, जिसमें 30 की जीत हुई थी।