सूरजपुर : सूरजपुर जिले के जयनगर थाना क्षेत्र के राजपुर गांव में एक किसान का घर में इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है। लोग यहां प्रभु श्री राम पर अपने आस्था को देखते हुए दूर-दूर से दर्शन करने पहुंच रहे हैं साथ ही भजन भक्ति भाव में सराबोर नजर आ रहे हैं।



सूूरजपुर के राजापुर गांव के निकट बहने वाली रिहंद नदी में जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर ग्रामीण किसान मनीलाल वह नदी में नहाने गया हुआ था, उस दौरान उसे एक पत्थर पानी में तैरता हुआ नजर आया जिसे वह गांव में हो रहे जन्माष्टमी के पंडाल में लेकर पहुंच गया और उसे एक टब में रखकर देखा, तो वो हैरान रह गया नदी से लाया पत्थर पानी में डूब ही नही रहा है, यह बात धीरे-धीरे आग की तरह फैल गई इसके बाद मनीराम उस पत्थर को अपने घर लेकर आ गया तब से वहां पूजा अर्चना शुरू हो गई और पत्थर पर राम लिखा हुआ प्रतीत हो रहा था जो और भी आकर्षण का केंद्र था जिससे भगवान राम की आस्था लोगों के प्रति और भी बढ़ गई लोगों ने पूजा अर्चना शुरू किया कीर्तन भजन शुरू किया लोग उसे पत्थर को देखने दूर-दूर से आ रहे हैं।

समुद्र पार करने हुआ था पत्थर का उपयोग

आपको बता दे कि जब लंका विजय के लिए समुद्र पार करना जरूरी हुआ तब भगवान राम ने समुद्र देव का आह्वान किया था, तब समुद्र ने प्रगट होकर नल-नील के शाप का जिक्र करते हुए सेतु का उपाय सुझाया, इसके बाद वानर सेना की सहायता से नल व नील ने पत्थरों पर भगवान राम का नाम लिखकर उनसे लंका तक सेतु बना दिया, यही सेतु रामसेतु कहलाता है। अब इस पत्थर के मिलने से लोग हैरान है कि आखिर ये पत्थर यहां कैसे पहुंचा।

इस मामले में जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो पानी में तैरने वाले पत्थर को प्यूमिक स्टोन कहते हैं और ये पत्थर ज्वालामुखी के लावा से बनते हैं. लावा जब ठंडा होता है तो ऐसे पत्थर बन जाते हैं, जिनका घनत्व कम होता है और उनमें हजारों छेद होते हैं और हल्के भी होते हैं. ये पत्थर स्पंज या डबल रोटी के जैसे दिखते हैं. देश में इस तरह के पत्थर रामेश्वरम और महाराष्ट्र में मौजूद हैं.

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