अंबिकापुर।भूगोल की विद्यार्थी होने की वजह से मैंने हमेशा महसूस किया है कि, कक्षा में हम नदी, पहाड़, पर्वत, पठार, जलप्रपात के अलावा अन्य भौगोलिक स्थलाकृतियों के बारे में जो अध्ययन करते हैं, उन स्थलाकृतियोंं को जब हम प्रत्यक्ष रूप में देखकर उनका अध्ययन करते हैं तो अध्ययन सहज व रुचिकर हो जाता है,इसके साथ उद्योग, परिवहन ,संस्कृति,कृषि ,पर्यावरण, वाष्पीकरण,संघनन के अलावा जलवायु व समुद्र विज्ञान वअन्य बहुत से ऐसे विषय हैं जिनमे व्यवहारिक ज्ञान बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सैद्धांतिक रूप से पढ़े गए विषयों को जब हम व्यवहारिक रूप में पढ़ते और समझते हैं तो वह हमारे मानस पटल पर अंकित हो जाता है,अनुभवजन्य अधिगम की महत्ता पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी जोर दिया गया है,ताकि विद्यार्थी सही मायने में पाठ्यक्रम को समझ पाएं। अनुभवजन्य अधिगम हेतु सरकार को शैक्षणिक भ्रमण हेतु अलग अलग विषयों के अधिगम हेतु पर्यटन क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें शिक्षा केन्द्रों के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए,शैक्षणिक भ्रमण की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों की पहचान कर उनका नक्शा तैयार करके उन्हें शिक्षा केंद्र (एजुकेशन हब)के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों पर शोध कार्य करते हुए मैने ये महसूस किया है कि,यहां पर अनेक ऐसे स्थल हैं,जिनको अनुभजन्य अधिगम हेतु शिक्षण केन्द्रों के रूप में विकसित क्रिया जाना चाहिए। सरगुजा में भी मैनपाट व रामगढ़ जैसे बहुत से क्षेत्र हैं जो इस दिशा में कार्य करने पर अधिगम के अलावा रोजगार को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। हमे इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर अभियान प्रारंभ कर इस दिशा में व्यवहारिक रूप मेंकार्य करने की आवश्यकता है।

डॉक्टर सीमा मिश्रा, विभागाध्यक्ष भूगोल (होली क्रॉस वीमेंस कॉलेज अंबिकापुर।

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