सूरजपुर: सूरजपुर वन मंडल में हाथियों की मौत और हाथी मानव के द्वन्द की खबरे आम है परंतु एक सुखद और भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है। जहाँ हाथी ने बच्ची को सूंड से उठाकर एक ओर रख कर धान खाकर चलता बना। जिसके बाद बच्ची को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत ठीक बताई जा रही है।
इस संबंध में सूरजपुर वन मंडल के डीएफओ पंकज कमल का कहना है एकदम सही बात है हाथी ने बच्ची को सूंड से उठाकर धान के पास से दूर रखा और धान खा कर चला गया, बच्ची का इलाज करवाया जा रहा है। ऐसा पहली बार देखा गया है, हाथियों की संवेन्दनशीलता को दर्शाता है।
घटना सुनने में एकदम साधारण लगती है लेकिन बच्चो के प्रति हाथी की संवेदनशीलता और मानसिक स्तर को दर्शाती है। दरअसल, गुरुवार की रात में लगभग 2 बजे सात हाथियों का दल कटघोरा वन परिक्षेत्र के सारसताल की ओर से सूरजपुर वन मंडल के रामानुजनगर वन परिक्षेत्र में पहुँचा, जहां हाथी किसानो की फसल को नुकसान कर अपना भोजन बना रहे थे, इसी दौरान एक हाथी महेशपुर के रहने वाले किसान टेकराम राजवाड़े के घर खाने की तलाश में आ पहुँचा, जहां टेकराम के घर पर धान रखा हुआ था, उसी से लगकर घर के आंगन में टेकराम की 10 वर्षीय बेटी उतरा राजवाड़े सो रही थी , हाथी ने उत्तरा को बिना नुकसान पहुंचाये सोते स्थिति में ही अपनी सूंड से उठाकर किनारे रखा जिससे उतरा के गले में हल्की चोट भी आई और धान खाकर वहां से चला गया, प्राय ऐसा देखा गया है कि भोजन की तलाश में हाथी इंसानों का जान ले लेता है, लेकिन यहां पर स्थित ठीक उल्टा रहा हाथी ने पहले सो रही बच्ची को अपने सामने से उठाकर किनारे रखा और धान खाकर चला गया। हाथी के सूंड से उठाने के कारण उत्तरा को मामूली चोट आई है, जिसका उपचार प्रेमनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जारी है, जानकारी मिलते ही वन विभाग ने भी उत्तरा के इलाज के लिए 5 हजार रुपए की तात्कालिक सहायता राशि उपलब्ध कराई है।सुबह जब इस घटना के बारे में लोगों ने सुना तभी से यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, स्थानीय लोग भी इस घटना को मिसाल के रूप में देख रहे हैं और उनका कहना है कि अगर हम जानवरों को ना छेड़े तो जानवर भी हमको नुकसान नहीं पहुंचता है ऐसी घटनाएं बहुत कम देखी जाती है
हथिनी करती है दल का नेतृत्व
बहुत कम लोगो को पता है कि हाथियों के दल का नेतृत्व एक मादा हाथी ही करती है, बेहद संवेन्दनशील हाथी एक बार जिस जगह से गुजर जाते है उसे कभी नही भूलते, इनकी याददाश्त बेहद सटीक होती है, हाथी के जानकारों की माने तो दल का नेतृत्व कर रही हथिनी अपने पुत्र को बड़ा होने तक ही दल में रखती है बाद उसे अपने दल से अलग कर देती है। ताकि दल में उसकी बहनों का संबंध वैसा ही बना रहे। जितनी भी घटनाएं हाथी और मानव द्वंद को लेकर सामने आती है उसका एकमात्र कारण हथिनी के बच्चो को छेड़े जाने और उन्हें आगे होकर परेशान करने के होते है। बेवजह जानबूझकर कर हाथी किसी को नुकसान नही पहुचाते है।