कोरबा। कोई व्यक्ति ऐसे ही सफल नहीं हो जाता है। सफलता मेहनत, लगन और धैर्य मांगती है। कुछ ऐसी ही कहानी है कोरबा से भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए और अब छत्तीसगढ़ के मंत्रीमंडल में शामिल लखन लाल देवांगन की। उनके संघर्ष के दिनों की बात करें तो करीब 40 साल पहले अपने पिता के साथ साप्ताहिक बाजारों में कपड़ा बेचते थे। शायद ही किसी ने उस वक्त कल्पना की होगी कि लखन राजनीति के इस शीर्ष पर पहुंचेंगे।
सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले लखनलाल देवांगन का जन्म 12 अप्रैल 1962 को कोरबा शहर के निकट ग्राम चारपारा कोहड़िया में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक शाला दर्री में हुई। बीए प्रथम वर्ष तक पढ़ाई के बाद वे अपने पिता तुलसीराम देवांगन के काम में हाथ बंटाने लगे। वे साप्ताहिक बाजार व गांवों में फेरी लगाकर कपड़ा बेचते थे। तुलसीराम को राजनीति से बेहद लगाव था। लखन लाल के पिता भाजपा के कार्यकर्ता थे और उनसे प्रेरित होकर वे राजनीति में आए। सामान्य कार्यकर्ता के रूप में 1984 में भाजपा से जुड़े। नगर निगम कोरबा के गठन के बाद वर्ष 1999 में उन्होने भाजपा की टिकट पर पहली बार पार्षद बने।
उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए पार्टी ने वर्ष 2005 में महापौर पद के लिए प्रत्याशी बनाया और उन्होने जीत हासिल की। लखन की नेतृत्व क्षमता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में सात बार कांग्रेस के आदिवासी नेता व सात बार के अपराजित विधायक बोधराम कंवर को हराया। हालाकि अगली बार 2018 में उन्हे कटघोरा विधानसभा से ही बोधराम के पुत्र पुरूषोत्तम कंवर से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2023 के विधानसभा में पार्टी ने एक बार फिर से उनपर विश्वसनीयता जताते हुए कोरबा विधानसभा से टिकट दी। यहां से उन्होने कांग्रेस के कद्दावर नेता और राजस्वमंत्री जयसिंह अग्रवाल को अपनी नेतृत्व क्षमता से 25 हजार मतों से पराजित किया।
शपथ लेने के बाद लखनलाल ने मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पैर छुए और राज्यापाल का गुलदस्ता स्वीकार करने से पहले पैर छूकर उनका भी आशीर्वाद लिया। उनकी इस सादगी और सौम्यता को हर किसी ने देख और सराहा। शपथ ग्रहण समारोह में लखनलाल की पत्नी रामकुमारी व उनके स्वजन उपस्थित रहे। उनके साथ साथ काफी संख्या में कार्यकर्ता रायपुर पहुंचे थे। गुरूवार की रात को मंत्री बनाए जाने की सूचना मिलते ही कार्यकर्ताओं का लखनलाल के घर में तांता लग गया। इस दौरान जमकर आतिशबाजी की गई। मंत्रियों को विभाग आवंटित नहीं किया गया है।
पहली सूची में घोषित कर दिए गए थे प्रत्याशी
पहली बार भाजपा ने दो महीना पहले पहली सूची में ही लखनलाल को प्रत्याशी घोषित कर दिया था। कांग्रेस का गढ़ होने की वजह से पार्टी ने सोंच समझ कर प्रत्याशी का चयन किया था। टिकट की घोषणा होने पर अन्य लोगों की तरह उन्हे भी आश्चर्य हुआ। पार्टी के लिए गए इस निर्णय को उन्होने अपनी जीत में तब्दील कर सही साबित किया। कोरबा विधानसभा के अस्तित्व में आने के बाद लगातार तीन बार विधायक रहे राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को पराजित कर उन्होने भाजपा का परचम लहराया।
शाह ने निभाया वादा अब लखनलाल की बारी
कोरबा सीट पर पूरे राज्य की नजर थी। जयसिंह बनाम लखन की इस लड़ाई में हारजीत तय करना लोगाें के लिए मुश्किल था। आखिरकार कोरबा की जनता ने लखन को चुना। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कोरबा में अपन सभा के दौरान किए गए वादे को उन्होने मंत्री बनाकर पूरा कर दिया है। अब बारी लखनलाल की है। उनके पुत्र रजनीश का कहना है कि उनके पिता सरल और सहज स्वाभाव के हैं। जनता में उनकी पारदर्शी छवि है। डबल इंजन की सरकार होने सेे कोरबा समेत राज्य में विकासमूल कार्य होंगे।
मंत्री बनने के बाद कहा- कोरबा समेत प्रदेश का करेंगे सर्वांगीण विकास
राजभवन में मंत्री पद का शपथ लेने के बाद लखनलाल देवांगन ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले मुझ जैसे कार्यकर्ता को भाजपा ने मंत्री पद का दायित्व दिया है। मैं उनके विश्वास पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा। कोरबा के लोग राखड़ की समस्या से जूझ रहे हैं। साथ ही श्रमिक बस्ती व शहर का विकास भी कांग्रेस कार्यकाल में रूक गया। ना केवल पूरे जिले की बल्कि प्रदेश का सर्वांगीण विकास किया जाएगा। भाजपा की घोषणा पत्र का अक्षरश: पालन करते हुए उस पर काम किया जाएगा।